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01 अक्तूबर 2012

कृषि उपज की बर्बादी के आंकड़े गलत : सीएआईटी

कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने आरोप लगाया है कि सरकार खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देने के फैसले को 'उचित ठहराने' के लिए देश में फल-सब्जियों की बर्बादी के 'फर्जी' आंकड़ों का हवाला दे रही है। सीएआईटी के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने एक बयान में कहा, 'ऐसा लगता है कि सरकार बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देने के निर्णय को उचित ठहराने के लिए इन फर्जी आंकड़ों का हवाला दे रही है।' खंडेलवाल ने कहा कि सरकार दावा करती है कि देश में इस समय 30-40 फीसदी फल और सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं। वहीं 12वीं योजना के लिए कृषि विपणन ढांचे पर योजना आयोग के कार्यसमूह ने आईसीएआर की रिपोर्ट का हवाला दिया है, जिससे इस दावे का खंडन होता है। बयान में कहा गया है कि वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा इस बर्बादी को रोकने के लिए बार-बार खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की जरूरत पर बल देते रहे हैं, वहीं प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित अपने भाषण में भी इन आंकड़ों का जिक्र किया है। खंडेलवाल ने आरोप लगाया, 'यह सरकार का एक गलत बयान है, जो खुदरा व्यापार में महज एफडीआई की सुविधा के लिए बार-बार दिया गया।' सीएआईटी ने कहा कि ज्वार के मामले में नुकसान का न्यूनतम प्रतिशत 3.9 है, जबकि गेहूं के मामले में अधिकतम नुकसान 6 फीसदी है। (BS Hindi)

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