13 अक्टूबर 2008
बाजार की अफरातफरी से सोना बेखबर
मुंबई : दुनिया में वित्तीय संकट गहराते जाने की सूरत में निवेशक सोने की तरफ रुख कर रहे हैं। इस वजह से पिछले सप्ताह जहां एक ओर ज्यादातर धातुएं सस्ती हुईं, तो दूसरी ओर सोना महंगा हुआ। पिछले सप्ताह के मुकाबले हाजिर बाजार में सोना 1.62 फीसदी महंगा हो कर 849 डॉलर प्रति औंस के भाव पर बंद हुआ। बंद होने से पहले यह 931 डॉलर के भाव पर पहुंच गया था। वायदा कारोबार में कॉमेक्स पर अक्टूबर कॉन्ट्रैक्ट तीन फीसदी महंगा होकर 859 डॉलर पर बंद हुआ। बंद होने से पहले दिन के कारोबार में यह 924 डॉलर तक पहुंचा था। एमसीएक्स पर अक्टूबर कॉन्ट्रैक्ट चार फीसदी महंगा होकर 13,372 रुपया प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। उससे पहले यह 14,320 रुपए तक पहुंचा था। सोने के घरेलू (लोकल) भाव रुपए की मंदी की वजह से बढ़े। रुपया पिछले 10 दिन में चार फीसदी से ज्यादा गिर कर डॉलर के मुकाबले 48.3 के भाव पर पहुंच गया है। सोने की यह महंगाई समझने लायक है। दुनिया में वित्तीय संस्थाओं के डूबने और नकदी के संकट के बाद सोना महंगा होना लाजिमी था क्योंकि इसे एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। हालांकि, 10 अक्टूबर को सोने के भाव नौ फीसदी गिरकर 826 डॉलर के स्तर पर पहुंच गए थे। उस दिन सोने की गिरावट ने उससे पहले की सारी कमाई को बराबर कर दिया था। उस समय बाजार में फैली घबराहट के चलते निवेशकों ने नकदी की अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए सोने की भारी बिकवाली की थी। हालांकि, भाव बाद में संभल गए। आनंद राठी कमोडिटीज के सुबोध गुप्ता ने बताया कि आगे चलकर सोने पर भी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संकट का असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सोने की कीमतों के रुझानों को देखकर कहा जा सकता है कि 840 डॉलर का भाव सोने के लिए जरूरी है क्योंकि इससे कम होकर यह 800 डॉलर प्रति आउंस और ज्यादा होकर यह 900 डॉलर आउंस तक जा सकता है। डॉलर यूरो के मुकाबले मजबूत और येन के मुकाबले कमजोर दिख रहा है। गुप्ता ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि कुछ वक्त के लिए सोने का मुदा बाजार से संबंध टूट गया है। कीमतों में इजाफे की वजह से घरेलू (लोकल) बाजार में सोने की मांग कम हुई है। लोग मुनाफा बुक करने के लिए बिकवाली में लगे हुए हैं। हालांकि, एंजल कमोडिटीज की एक रिसर्च रिपोर्ट का मानना है कि भारत में सोने की मांग में दिवाली के बाद तेजी आ सकती है। (ET Hindi)
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