12 अक्टूबर 2008
ढहते बाजार के बीच सोना 14,000 के पार
मुंबई : वैश्विक मंदी के इस दौर में शेयर बाजारों में भारी गिरावट ने सोने की कीमतों को आसमान पर पहुंचा दिया है। घरेलू बाजार में सुनहरी धातु की कीमतें 14,000 रुपए के स्तर को पार कर रिकॉर्ड ऊंचाई पर जा पहुंची है। बाजार विश्लेषकों के मुताबिक सोने को निवेश का सुरक्षित विकल्प मानने की वजह से उसके दामों में अभूतपूर्व तेजी देखी जा रही है। शुक्रवार को मुंबई सर्राफा बाजार में स्टैंडर्ड गोल्ड 255 रुपए प्रति 10 ग्राम बढ़कर 14,075 रुपए पर पहुंच गया जबकि प्योर गोल्ड के दाम बुधवार के 13,8885 रुपए के बजाए 14,145 रुपए प्रति 10 ग्राम पहुंच गए। सोने की ऊंची कीमतों ने देश में सिक्के और बिस्किट की मांग पर काफी बुरा असर डाला है। उद्योग के अनुमानों के मुताबिक नवरात्रि और दशहरा के त्योहार के वक्त भारत में सोने के सिक्कों और बिस्कुट की बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 50 - 60 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। देश में पिछले कुछ सालों के दौरान त्योहारों के मौसम में रीटेल बिक्री में लगातार वृद्धि देखी गई थी। वैश्विक स्तर पर सोना सुरक्षित संपत्ति श्रेणी के तौर पर तेजी से उभरा है और इस वजह से अमेरिका में 'अभूतपूर्व मांग' का हवाला देते हुए सोने के सिक्कों की बिक्री अस्थाई रूप से रोक दी गई है। विश्व स्वर्ण परिषद के आंकड़ों के मुताबिक सोने के सिक्कों और बिस्कुट के लिए मांग 2007 में 217 टन थी। परिषद के एसोसिएट डायरेक्टर केयूर शाह ने बताया कि 2008 की पहली छमाही में जहां मांग में 50 फीसदी कमी आई थी वहीं जुलाई और सितंबर के बीच कीमतें लुढ़कने की वजह से खरीदारी में गजब का उत्साह देखा गया। उन्होंने कहा, 'इससे 2008 में सोने की मांग से जुड़े आंकड़े बढ़ जाएंगे। हालांकि रुपए की भारी कमजोरी की वजह से पिछले कुछ दिनों के दौरान निवेशकों के सेंटीमेंट पर चोट की है। आगे क्या होगा, यह देखने के लिए हमें कुछ इंतजार करना होगा।' बैंक भी गोल्ड रीटेल कारोबार को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं दिख रहे। गोल्ड के बड़े रीटेलरों में शुमार एचडीएफसी बैंक में रीटेल लायबिलिटी की प्रमुख चित्रा पंडया ने कहा, 'हमें पिछली साल की तरह इस बार भारी बिक्री की उम्मीद नहीं है, लेकिन हम अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे।' ज्यादातर बैंक सोने के सिक्कों पर 8-10 फीसदी का प्रीमियम लेते हैं जबकि ज्वेलर 2-5 फीसदी लेते हैं। इस सीजन में सोने के दाम पहले ही काफी ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं इसलिए लोग सिक्के खरीदने के लिए कीमतें गिरने का इंतजार कर रहे हैं। (ET Hindi)
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