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05 अक्टूबर 2012

उत्पादन कम होने से कॉटन के निर्यात में गिरावट का अनुमान

अक्टूबर से शुरू नए सीजन में 70 लाख गांठ कॉटन निर्यात की संभावना : सीएबी उत्पादन आकलन - सीएबी ने स्पष्ट किया है कि देश में कॉटन के उत्पादन का यह अनुमान अंतिम नहीं है। आगे भी फसल की कटाई और मंडियों में आवक की स्थिति को ध्यान में रखकर सीएबी अपना उत्पादन अनुमान संशोधित कर सकती है। इस महीने से शुरू नए मार्केटिंग वर्ष 2012-13 के दौरान भारत से कॉटन के निर्यात में भारी गिरावट आने का अनुमान है। कॉटन एडवायजरी बोर्ड (सीएबी) का कहना है कि इस साल खरीफ सीजन में घरेलू उत्पादन घटने से निर्यात 45 फीसदी घटकर 70 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) रहने की संभावना है। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में पिछले मार्केटिंग वर्ष 2011-12 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान कुल 128 लाख गांठ कॉटन का निर्यात किया गया था। यहां एक बैठक के बाद सीएबी के एक अधिकारी ने बताया कि उत्पादन घटने से इस साल निर्यात घटकर 70 लाख गांठ तक रह सकता है। कपड़ा मंत्रालय के अधीन सीएबी देश में कॉटन के उत्पादन खपत और मार्केटिंग के मामलों में सरकार को परामर्श देती है। सीएबी मुख्य रूप से घरेलू टेक्सटाइल उद्योग को कॉटन की सुलभता सुनिश्चित करने का प्रयास करती है। नए मार्केटिंग वर्ष में घरेलू और निर्यात बाजार के लिए कॉटन की सुलभता के शुरूआती अनुमान तय करने के लिए यहां सीएबी की बैठक हुई। सीएबी के अधिकारी के मुताबिक इस साल देश में कॉटन का कुल उत्पादन घटकर 334 लाख गांठ रहने का अनुमान है। पिछले साल खरीफ सीजन में देश में 353 लाख गांठ उत्पादन हुआ था। इस साल शुरूआती मानसून कमजोर रहने से कपास का रकबा घटने के कारण उत्पादन घटने का अनुमान है। (Business Bhaskar)

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