04 अक्तूबर 2012
सुस्त अनुबंधों के लिए तय होंगे नए मानदंड
वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) सभी जिंस एक्सचेंजों में सुस्त कारोबार वाले अनुबंधों (इलिक्विड कॉन्ट्रैक्ट) के लिए रोजाना न्यूनतम औसत कारोबार का मानदंड तय करने की योजना बना रहा है। फिलहाल इस मानदंड पर विचार चल रहा है, जो एक महीने के भीतर लागू हो जाएगा। जिंस एक्सचेंजों ने सुस्त पड़े अनुबंधों को सक्रिय बनाने की विस्तृत योजना के साथ इसके नवीनीकरण का अनुरोध एफएमसी से किया है। लेकिन ज्यादातर मामलों में एक्सचेंजों ने ऐसी योजना लागू करने की कोशिश नहीं की या फिर उन्हें नकारात्मक परिणाम मिले। आवश्यक दिशानिर्देशों के
अभाव में एक्सचेंजों की
कोशिश के शायद ही कोई परिणाम सामने आएंगे। हालांकि मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर पहले सुस्त अनुबंध के तौर पर मशहूर कपास अनुबंध में बेहतर कामयाबी हासिल हुई है।
एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा, 'सुस्त अनुबंधों को लिए हमने अनिवार्य रोजाना औसत कारोबार का मानदंड तय करने का फैसला किया है ताकि एक्सचेंज कुछ सकारात्मक कदम उठाने के लिए उत्साहित हों। फिलहाल दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं और एक महीने के भीतर इसे लागू किया जाएगा।'
बाजार नियामक ने एक्सचेंजों से यह भी कहा है कि सुस्त अनुबंधों के नवीनीकरण का प्रस्ताव भेजने से पहले वह इसकी समीक्षा करे। एफएमसी की वेबसाइट के मुताबिक, नियामक ने 113 जिंसों में वायदा कारोबार की अनुमति दी है, जिसमें से 25 काफी ज्यादा सक्रिय हैं जबकि अन्य 25-30 अर्ध-सक्रिय। इसके अलावा 10-15 जिंसों में मौके के हिसाब से कारोबार होता है, ऐसे में बाकी करीब 43 जिंसों को सुस्त अनुबंध के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।
नए दिशानिर्देश के तहत हालांकि एक्सचेंजों को इन अनुबंधों में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए छह महीने का समय दिया गया है क्योंकि नियामक को लगता है कि यह समय पर्याप्त है। छह महीने की अवधि में एक्सचेंज ब्रोकरों और उपभोक्ताओं की बैठक आयोजित कर सकता है और देश भर में सदस्य बना सकता है। अभिषेक ने कहा, इन अनुबंधों के नवीनीकरण का अनुरोध करते समय एक्सचेंज इन्हें सक्रिय बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की विस्तृत जानकारी देता है। लेकिन दो साल तक इनका नवीनीकरण किए जाने के बाद शायद ही इसमें कारोबार हुआ है। न तो सुस्त अनुबंध में किसी नए सदस्य का प्रवेश हुआ है और न ही इसमें कोई कारोबार हुआ है। न्यूनतम रोजाना औसत कारोबार के मानदंड से हालांकि एक्सचेंज और ज्यादा समयबद्ध हो पाएगा और खुद ही ऐसे अनुबंधों से बाहर निकलना चाहेगा, जिसमें निवेशकों की भागीदारी नहीं हो रही हो।
यह मानदंड हालांकि जिंसों की प्रकृति के आधार पर अलग-अलग होगा। एक ओर जहां बादाम अनुबंध के लिए न्यूनतम रोजाना औसत कारोबार का लक्ष्य करीब 10 करोड़ होगा, वहीं छोटे व क्षेत्रीय एक्सचेंजों के लिए यह और कम हो सकता है। इससे नए उत्पाद प्रभावित नहीं होंगे क्योंकि एक्सचेंज इसे मंजूरी के लिए एफएमसी के पास भेजने से पहले इसकी काफी ज्यादा छानबीन करेगा। साथ ही प्रस्तावित मानदंड नए एक्सचेंजों के लिए लागू नहीं होंगे। जिस जिंस में सालों से कोई कारोबार नहीं हुआ हो उसे सुस्त अनुबंध के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है। कई जिंसों में शुरुआती कारोबार के बाद यह सुस्त अनुबंध के तौर पर तब्दील हो जाता है, जो एफएमसी की चिंता का विषय है।
जिन 21 जिंस एक्सचेंजों को मंजूरी मिली है उनमें एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स, नैशनल बोर्ड ऑफ ट्रेड, एनएमसीई और ऐस का साल 2011-12 के कुल कारोबार में 99 फीसदी योगदान रहा। एमएमसी द्वारा विनियमित 113 जिंसों में कारोबारी कीमत के लिहाज से सोना, चांदी, तांबा, जस्ता, ग्वार, सोया तेल, जीरा, काली मिर्च व चने में प्रमुख रूप से कारोबार होता है। साल 2011-12 में सभी एक्सचेंजों में कुल कारोबार 140.257 करोड़ टन का हुआ और कीमत 181,26,103.78 करोड़ रुपये रही। (BS Hindi)
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