01 अक्तूबर 2012
चीनी उत्पादक कंपनियों ने घटाया एथेनॉल उत्पादन का लक्ष्य
चीनी उत्पादक कंपनियों ने घटाया एथेनॉल उत्पादन का लक्ष्य
दिलीप कुमार झा / मुंबई September 30, 2012
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मांग में लगातार बढ़ोतरी के बावजूद चीनी उत्पादक कंपनियों ने एथेनॉल उत्पादन के लक्ष्य में 8 फीसदी से ज्यादा की कटौती की है क्योंकि अक्टूबर में शुरू होने वाले आगामी पेराई सीजन में गन्ने की उपलब्धता कम होगी।
विभिन्न कंपनियों में एथेनॉल का उत्पादन पेराई के लिए उपलब्ध गन्ने और उसकी रिकवरी दर पर निर्भर करती है। लेकिन साल 2012-13 के चीनी सीजन में एथेनॉल का कुल उत्पादन 25.12 करोड़ लीटर पर स्थिर रहने की भविष्यवाणी की गई है जबकि पिछले सीजन में रिकॉर्ड 27.32 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन हुआ था।
उत्पादन में गिरावट काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वजह से आगामी पेराई सीजन में आपूर्ति में कमी पिछले चार साल में सबसे ज्यादा यानी 6.61 करोड़ लीटर की होगी जबकि पिछले साल कुल 2.33 करोड़ लीटर एथेनॉल की कमी हुई थी। आपूर्ति में कमी से पेट्रोल में अनिवार्य रूप से 5 फीसदी एथेनॉल मिश्रण की सरकारी योजना को भी झटका लगेगा। हालांकि पेट्रोल में एथेनॉल के मिश्रण की मात्रा बढ़ाकर 10 फीसदी की जा सकती है, लेकिन ये चीजें पेराई करने वाली मिलों के हालात पर निर्भर करेंगी।
गन्ने की पेराई का महत्वपूर्ण व कीमती उपोत्पाद एथेनॉल है और इसका उत्पादन चीनी सीजन के दौरान गन्ने के कुल प्रसंस्करण और चीनी की औसत रिकवरी दर पर भी निर्भर करता है।
केयर रिसर्च के रेवती कस्तुरी ने कहा, एथेनॉल का उत्पादन प्राथमिक तौर पर शीरे के इस्तेमाल से होता है, जो सीधे तौर पर चीनी मिलों में गन्ने की पेराई पर निर्भर करती है। चीनी उद्योग की चक्रीय प्रकृति के चलते शीरे की उपलब्धता में भारी उतारचढ़ाव देखा गया है। शीरा चीनी का उपोत्पाद है, जिसका प्रसंस्करण एथेनॉल के उत्पादन के लिए किया जाता है। ऐसे में पेट्रोल में मिश्रण की खातिर एथेनॉल की आपूर्ति में अवरोध की संभावना है।
चीनी सीजन 2010-11 में गन्ने का उत्पादन और चीनी मिलों की तरफ से पेराई की मात्रा साल दर साल के हिसाब से क्रमश: 16 व 29 फीसदी बढ़ी। गन्ने के अतिरिक्त उत्पादन के बावजूद 5 फीसदी एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम में कामयाबी हासिल नहीं हो पाई। 5 फीसदी एथेनॉल मिश्रण में कामयाबी हासिल करने के लिए चीनी वर्ष 2011-12 में देश को 11 करोड़ लीटर एथेनॉल की दरकार होगी। हालांकि अनुमान है कि उद्योग इस मांग की 80 फीसदी भरपाई करने में ही सक्षम होगा।
इस्मा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पिछले चीनी सीजन में देश में 12.5 लाख टन शीरे का उत्पादन हुआ। इस साल गन्ने के उत्पादन में कमी के अनुमान के चलते शीरे का कुल उत्पादन 11 लाख टन रहने का अनुमान है। उन्होंंने कहा, ऐसे में एथेनॉल उत्पादन में आनुपातिक गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता।
एथेनॉल का इस्तेमाल रसायन उद्योग व शराब उद्योग में भी होता है। रसायन व शराब उद्योग की तरफ से ज्यादा कीमत की पेशकश के चलते चीनी मिलें इन्हें एथेनॉल बेचना पसंद करती हैं। मौजूदा समय में तेल विपणन कंपनियां 27 रुपये प्रति लीटर पर एथेनॉल खरीदती हैं जबकि अन्य प्रतिस्पर्धी इन्हें 34 रुपये प्रति लीटर की कीमत देते हैं।
साथ ही चीनी मिलें शीरे का निर्यात औसतन 35 रुपये प्रति लीटर पर करती हैं। फिलहाल एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल यानी पोटेबल अल्कोहल (एथेनॉल के रिफाइंड के पूर्व का चरण) 42-43 रुपये प्रति लीटर पर बिकता है और इसी वजह से चीनी उत्पादक कंपनियां शीरे की बिक्री या पोटेबल उद्योग को करत देते हैं या फिर यह औद्योगिक इस्तेमाल में चला जाता है, जिसकी राह रसायन कंपनियां हमेशा देखती रहती हैं। एथेनॉल उद्योग के स्वतंत्र परामर्शदाता दीपक देसाई ने कहा, पिछले साल चीनी मिलों ने करीब 6 लाख टन शीरे का निर्यात किया।
गन्ने का रकबा 52.88 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है और पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक गन्ने का उत्पादन करीब 342 लाख टन रह सकता है, जो पिछले साल के मुकाबले थोड़ा कम है। अधिकारियों ने कहा, रकबा और उत्पादन थोड़ा कम रहेगा, साथ ही कमजोर बारिश के चलते गन्ने की उत्पादकता भी नीचे जाएगी। (BS Hindi)
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