कुल पेज दृश्य

04 फ़रवरी 2010

मांग में गिरावट से वाइन उद्योग को नुकसान

पुणे February 04, 2010
भले ही तमाम कंपनियां सुस्ती से निकलने का जश्न मना रही हैं और जाम से जाम टकरा रही हों, महाराष्ट्र का वाइन उद्योग अभी तक सुस्ती की कड़वाहट झेल रहा है।
इस साल उद्योग को भारी नुकसान हो रहा है। अंगूर की पैदावार घटने के साथ ही वाइन की बिक्री में कमी की वजह से उद्योग बुरे दौर से गुजर रहा है। पिछले साल वाइन की बिक्री में काफी कमी देखी गई। 2009 में वाइन का कुल उत्पादन 1.30 करोड़ लीटर था।
सुस्ती की वजह से पहले से ही मांग कम थी। 26 नवंबर 2008 के बम धमाकों के बाद महाराष्ट्र का वाइन उद्योग ग्राहकों का टोटा झेल रहा है। इसकी वजह से करीब 2 करोड़ लीटर वाइन ग्राहकों के इंतजार में बिना बिके गोदामों में पड़ी है। इस वाइन की कीमत 150 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। मांग में कमी को देखते हुए ज्यादातर वाइनरी नए सत्र में अंगूरों की पेराई को तैयार नहीं हैं।
राज्य के वाइन उद्योग की उत्पादन क्षमता 3.58 करोड़ लीटर सालाना है। यहां करीब 8,000 एकड़ जमीन में अंगूरों की खेती की जाती है। इस सत्र में अंगूर की खेती करने वाले किसानों को भी काफी नुकसान हुआ है। नवंबर में बारिश होने से अंगूर उत्पादन 45 फीसदी तक घट गया है।
महाराष्ट्र में कुल 68 वाइनरी हैं। वाइन का उत्पादन मुख्य रूप से पुणे, नासिक और सांगली में होता है। पुणे में ब्लू स्टार वाइनरी के प्रवर्तक विजय मुंडे का कहना है, 'इस साल किसानों और वाइन यार्ड मालिकों दोनों के लिए स्थितियां अच्छी नहीं हैं। पिछले साल सरकार भी वाइनरियों को कुछ वित्तीय सहायता देने को राजी हुई। नाबार्ड की मदद से इन्हें आसान कर्ज मुहैया कराने की योजना थी, पर इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।'
मुंडे ने कहा, 'गोदामों में पुरानी वाइन पड़ी होने की वजह से इस साल हम वाइन के अत्यधिक उत्पादन की समस्या झेल रहे हैं। कई वाइनरियां किसानों को भुगतान करने की भी स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने अगले 3-5 सालों के लिए किसानों के साथ समझौता किया है, इसलिए किसी भी हालत में उन्हें अंगूरों की पेराई करनी है।'
कुछ वाइन उत्पादक अभी भी आशांवित हैं और स्थितियां बेहतर होने की उम्मीद कर रहे हैं। महाराष्ट्र के बड़े वाइन उत्पादकों में एक सुला वाइनयार्ड अगले साल 40 लाख वाइन बोतलों के उत्पादन का लक्ष्य कर रही है।
सुला वाइनयार्ड के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव सामंत ने बताया, 'पिछला साल वाइन उद्योग के लिए काफी बुरा रहा। नवंबर की बारिश ने अंगूर उत्पादन पर भी खासा असर डाला है। अंगूरों की कीमतों में 5 रुपये तक की कमी आ गई है। इस साल हम लाल अंगूरों के लिए 25 रुपये प्रति किलो और सफेद अंगूरों के लिए 20-22 रुपये प्रति किलो की कीमत दे रहे हैं।
इस पेराई मौसम में हमारे पास 3,200 टन अंगूर है, जो पिछले साल की तुलना में 45 फीसदी कम है। हमारा किसानों के साथ 10 साल का करार है। इस साल हम 40 लाख वाइन बोतलों के उत्पादन की योजना बना रहे हैं।'
सामंत के मुताबिक भारत में वाइन का उपभोग बहुत ही कम है। प्रति व्यक्ति वाइन की खपत महज 11 मिलीलीटर है। वह अगले 10 सालों में इसके 100 मिलीलिटर तक बढ़ने का अनुमान लगा रहे हैं। सुला जर्मनी, जापान, रूस और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को वाइन का निर्यात करती है। (बीएस हिन्दी)

कोई टिप्पणी नहीं: