नई दिल्ली February 03, 2010
चीनी की बिक्री को नियमित करने और बाजार में आपूर्ति सुनिश्चत करने के लिए सरकार ने फरवरी में साप्ताहिक बिक्री व्यवस्था को फिर से शुरू किया है। सरकार ने फरवरी में खुले बाजार में बिक्री के लिए 17।91 लाख टन चीनी आवंटित की है। मिलों को निर्देश दिया जा रहा है कि इसमें से 20 फीसदी चीनी पहले हफ्ते में, 30 फीसदी दूसरे हफ्ते में और तीसरे-चौथे हफ्ते में 25-25 फीसदी चीनी बेची जाए।सरकार की तरफ से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक इससे पहले मिलों द्वारा चीनी एक महीने में दो किस्तों में बेची जा रही थी। सरकार ने मिलों को नई व्यवस्था का सख्ती से पालन करने को कहा है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो बची हुई चीनी को लेवी चीनी में बदलकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए बेचा जाएगा। लेवी चीनी की कीमत महज 1,300-1,400 रुपये प्रति क्विंटल मिलती है। वहीं, खुले बाजार में चीनी की कीमत 3,900-4,000 रुपये प्रति क्विंटल है। उद्योग ने हालांकि नई व्यवस्था को लेकर नाखुशी जाहिए की है। एक अधिकारी का कहना है, 'चीनी उद्योग को आजादी देने के बजाए सरकार पाबंदियां कड़ी कर रही है। इससे कोई फायदा नहीं होगा, बल्कि कीमतें और बढ़ेंगी।पिछले साल अप्रैल में भी सरकार ने मासिक बिक्री व्यवस्था को साप्ताहिक व्यवस्था में बदला था। ऐसा खुले बाजार में सही समय पर चीनी की आपूर्ति के लिए किया गया था। मगर बाद में इसे पाक्षिक कर दिया गया। 2008-09 में चीनी का उत्पादन तीन सालों में सबसे निचले स्तर 1.5 करोड़ टन पर रहा। वहीं, मौजूदा चीनी मौसम (अक्टूबर-सितंबर) में भी चीनी का अनुमानित उत्पादन 1.5 करोड़ टन से थोड़ा ही अधिक है। बेहतरीन उत्पादन के दो लगातार सालों के बाद अब कम उत्पादन के दो लगातर साल देखने को मिल रहे हैं। 2006-07 और 2007-08 में ज्यादा उत्पादन की वजह से सरकार को मिलों को निर्यात सुविधाएं मुहैया करानी पड़ी थीं। इस बार किल्लत को देखते हुए सरकार ने चीनी के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति भी दी है। चीनी के वायदा कारोबार पर भी रोक लगाई गई है। साथ ही स्टॉक सीमा भी तय की गई है। (बीएस हिन्दी)
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