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01 फ़रवरी 2010

महंगी चीनी नहीं बढ़ा सकी मिलों की मिठास

मुंबई January 31, 2010
चीनी की रिकॉर्ड कीमतों के बावजूद पेराई करने वाली कंपनियों की मिठास नहीं बढ़ी है। चालू चीनी सत्र (अक्टूबर-सितंबर) की पहली तिमाही की समाप्ति पर कंपनियों का प्रदर्शन कमोबेश स्थिर रहा। चीनी की बड़ी कंपनियों, बजाज हिंदुस्तान, त्रिवेणी इंजीनियरिंग, श्री रेणुका शुगर्स, धामपुर शुगर्स आदि ने हाल में अपनी तिमाही रिपोर्ट जारी की है। इससे स्पष्ट होता है कि उनकी बिक्री का राजस्व कमोबेश 78।22 प्रतिशत पर स्थिर रहा है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 78.84 प्रतिशत था। द्वारकेश शुगर इंडस्ट्रीज के पूर्णकालिक निदेशक बीजे माहेश्वरी इसकी वजह बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी और औद्योगिक एल्कोहल को बताते हैं, जो मिलों के लिए राजस्व के दो अन्य बड़े स्रोत हैं। पिछले चीनी सत्र में उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली की कीमतों में 1 रुपये की बढ़ोतरी कर दी, वहीं पिछले साल जिन मिलों ने कम दरों के चलते एथेनॉल की बिक्री नहीं की थी, इसकी बिक्री औद्योगिक एल्कोहल के रूप में 60 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी कीमतों पर किया। इसके चलते पिछले साल के दौरान चीनी मिलों को बेहतर मुनाफा मिला। पिछले बुधवार को 9 बड़ी कंपनियों ने अपने तिमाही परिणाम की घोषणा की, जिसमें उनकी कुल बिक्री में 56.97 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि चीनी की कीमतें 88 प्रतिशत बढ़ी हैं। लेकिन इसके प्रमुख दो सह उत्पादों से मुनाफा सीमित रहा। दिसंबर 2008 में चीनी की कीमतें 1975 रुपये प्रति क्विंटल थीं, जबकि इस समय इसी एम-30 चीनी की कीमतों में तेज बढ़ोतरी के साथ दाम दिसंबर 2009 में 3720 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए हैं। इस तरह से इस दौरान कीमतों में 88.31 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस साल के दौरान खुदरा कीमतें करीब 50 रुपये प्रति किलो के आसपास चल रही हैं, जबकि मिलों से 44 रुपये प्रति किलो पर चीनी बाहर आ रही है। उद्योग जगत का अनुमान है कि इस साल उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम रहेगा। पिछले साल 17 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था, लेकिन इस साल गन्ने का क्षेत्रफल कम होने की वजह से उत्पादन में और कमी के अनुमान हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस साल के अंत तक एथेनॉल और बिजली की कीमतों में पुनरीक्षण के बाद स्थिति बदल सकती है। अगर सरकार एथेनॉल की कीमतों के बारे में सरकार फैसला तभी लेगी, जब अन्य क्षेत्रों का योगदान इसमें बढ़ता है। चीनी मिलें इस समय हरित ईंधन की बिक्री 23 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से कर रही हैं, जबकि 27-28 रुपये प्रति लीटर कीमतों पर बातचीत चल रही है। सूत्रों के मुताबिक एथेनॉल की कीमतों के बारे में तेल मंत्रालय कभी भी अध्यादेश जारी कर सकता है। इसकी वजह यह है कि सरकार अपने 5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने के फैसले को लागू नहीं कर पा रही है। चीनी मिलें चालू मूल्य 23 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से एथेनॉल की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं पा रही हैं, क्योंकि उत्पादन लागत 25 रुपये प्रति लीटर पड़ रही है। (बीएस हिन्दी)

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