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03 फ़रवरी 2010

कीमतों पर लगाम के दावे फेल

नई दिल्ली 02 01, 2010
चीनी की कीमत फिर से उछाल मार रही है। सोमवार को चीनी की थोक कीमत 4200-4300 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। पिछले गुरुवार तक चीनी के थोक भाव 3800-3900 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे थे। तब सरकार यह दावा कर रही थी कि चीनी की थोक कीमत 350-400 रुपये प्रति क्विंटल कम हो गई है और जल्द ही खुदरा बाजार में चीनी के दाम कम हो जाएंगे। लेकिन पिछले तीन दिनों में चीनी की थोक कीमत के अपने पूर्वस्तर पर पहुंच जाने से खुदरा बाजार के भाव में गिरावट की कोई संभावना नहीं है। कारोबारियों के मुताबिक पिछले सप्ताह चीनी के दाम कम रहने से उठाव में तेजी रही और गत शुक्रवार से चीनी में मजबूती का रुख दिखने लगा। दाम में बढ़ोतरी की सुगबुगाहट से मांग में और तेजी आ गई। इससे सोमवार को थोक बाजार खुलते ही चीनी फिर से 4200-4300 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर जा पहुंची। कारोबारी कहते हैं कि जनवरी के मध्य में विभिन्न राज्यों में चीनी के भंडारण को लेकर सख्ती बरती जा रही थी। कई जगहों पर छापेमारी की कार्रवाई की गई थी। इसी डर से चीनी के भाव में गिरावट आई। अब पिछले 10 दिनों से इस प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उनके मुताबिक सबसे बड़ी बात है कि चीनी का उत्पादन इस साल मात्र 150 लाख टन रहने का अनुमान है जो कि खपत के मुकाबले लगभग 70-75 लाख टन कम है। हालांकि 30 लाख टन से अधिक कच्ची व परिष्कृत चीनी का आयात किया जा चुका है।दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में कच्ची चीनी को परिष्कृत करने का छिटपुट काम शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के मुताबिक बगास की कमी की वजह से वे जल्द से जल्द कच्ची चीनी को परिष्कृत करने का काम पूरा कर लेना चाहते हैं। इस साल उत्तर प्रदेश की मिलें पेराई के लिए मात्र एक तिहाई क्षमता का उपयोग कर रही है। इस कारण बगास की कमी लाजिमी है। पेराई समाप्त होने के बाद कच्ची चीनी को परिष्कृत करने के लिए उन्हें कोयले के माध्यम से बॉयलर चलाना होगा जो कि बगास के मुकाबले महंगा पड़ता है। चीनी मिलर्स के मुताबिक इस साल अधिकतम 15 मार्च तक गन्ने की पेराई होगी। इस साल गन्ने की पेराई दिसंबर में शुरू हुई थी। वैसे इस साल उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाकों में गन्ने की उपज पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी अधिक बतायी जा रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में गन्ने से मिलने वाली रिकवरी इस साल 9 फीसदी है। यह पिछले साल के मुकाबले आधा फीसदी अधिक है।(बीएस हिन्दी)

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