नई दिल्ली November 04, 2008
उद्योग जगत के चलन को देखते हुए इस्पात इंडस्ट्रीज ने आज अपने स्टील उत्पादों की दरों में 5,500 रुपये प्रति टन की कटौती की है ताकि घरेलू बाजार में अपनी पकड़ बनाए रख सके।
स्टील का घरेलू बाजार सस्ते आयात में वृध्दि और वैश्विक कीमतों में आ रही नरमी से जूझ रहा है। इस्पात इंडस्ट्रीज के कार्यकारी निदेशक विनोद गर्ग ने बताया, 'अंतरराष्ट्रीय कीमतों को देखते हुए हमलोगों ने दरों में कटौती की है।' कंपनी ने अपने स्टील उत्पादों की कीमतों में कटौती की है। चेकर्ड कॉयल की कीमतों को 13 प्रतिशत घटा कर 35,900 रुपये प्रति टन कर दिया है जबकि अक्टूबर में इसकी कीमतें 41,400 रुपये प्रति टन थीं। कंपनी के आंकड़ों के अनुसार, इसकी शीट गेज अब 34,900 रुपये प्रति टन पर उपलब्ध होगी जबकि पिछले महीने इसकी कीमत 40,400 रुपये प्रति टन थी।पिछले कुछ दिनों में प्रमुख स्टील उत्पादकों जैसे सेल, आरआईएनएल, जेएसडब्ल्यू स्टील और एस्सार स्टील ने स्टील की कीमतों में 20 प्रतिशत तक की कटौती की थी। सरकारी कंपनी राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड ने कल अपने उत्पादों की कीमतों में 8,500 रुपये प्रति टन तक की कटौती की।आरआईएनएल के प्रमुख पी के बिश्नोई ने कहा, 'कोई भी कीमत बाजार मूल्यों के अनुरूप होना चाहिए। अभी स्टील की कीमतें कम चल रही हैं और वर्तमान बाजार परिस्थितियों को देखते हुए हमें दरों में कमी करने की जरूरत है।'सेल और जेएसडब्ल्यू स्टील ने शनिवार को कीमतों में कटौती की घोषणा की थी जबकि एस्सार स्टील ने रविवार को कीमतों में 6,000 रुपये प्रति टन की कटौती की थी। मांग में कमी के बीच चीन और यूक्रेन से सस्ते स्टील के आयात से सुरक्षित रहने के लिए स्टील उत्पादकों ने यह कदम उठाया है।एक तरफ सरकारी कंपनी सेल ने कीमतों में 4,000 रुपये से 6,000 रुपये प्रति टन तक की कटौती की है वहीं सान जिंदल की जेएसडब्ल्यू स्टील ने अपने एचआर कॉयल की कीमतों में 5,500 रुपये प्रति टन की कमी की है। एस्सार स्टील ने भी कीमतों में 5,000 रुपये प्रिति टन तक की कटौती की है। हालांकि, देश की अग्रणी स्टील उत्पादक कंपनी टाटा स्टील ने अभी तक कीमतों में कटौती की घोषणा नहीं की है। उसका कहना है कि वह विकल्पों का आकलन कर रही है। प्रमुख स्टील उत्पादकों द्वारा कीमतों में उस समय कटौती की जा रही है जब उद्योग अन्य वित्तीय उपायों के साथ-साथ स्टील के आयात पर लगाए जाने वाले 15 प्रतिशत के शुल्क की अपनी मांग पर सरकार के निर्णय का इंतजार कर रहा है।ऐसा माना जा रहा है कि स्टील मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने की बात की थी। पिछले कुछ सप्ताहों में स्टील की वैश्विक कीमतों में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई है यही कारण है कि घरेलू उत्पादकों ने सस्ते आयात से निपटने के लिए कीमतों में कटौती की है। (BS Hindi)
05 नवंबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें