लखनऊ November 25, 2008
अब से ठीक छह महीने पहले भंडारण शुल्क बढ़ाकर मुनाफा कमाने का इरादा पाले बैठे उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज मालिकों को आलू के चलते तगड़ी चपत लगी है।
औंधे मुंह गिरे बाजार के न सुधरने से उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोरेजों में करीब दस लाख टन आलू फंसा रह गया है। किसानों के आलू निकालने से इंकार के बाद कोल्ड स्टोरेजों के मालिकों की शामत आ गयी है। एक अनुमान के मुताबिक कोल्ड स्टोरेज मालिकों को 250 करोड़ रुपए का नुकसान किसानों के आलू न निकालने से हुआ है। समय सीमा के बीत जाने पर भी आलू न निकालने से स्टोरेज मालिकों के कर्ज और भाड़े के करीब इतने रुपए डूबे हैं। उत्तर प्रदेश में इस समय 1300 से ज्यादा कोल्ड स्टोरेज हैं। इनमें से 300 कोल्ड स्टोरेज तो अपनी क्रेडिट लिमिट भी अदा नही कर पाएंगे। उत्तर प्देश कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र स्वरूप ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि आलू के रेट कोल्ड स्टोरेजों के भरते ही गिरना शुरु हो गया था लिहाजा किसान सीजन की शुरुआत होते ही घाटे में आ गए। महेंद्र स्वरूप ने कहा कि आज हालात ऐसे हो गए हैं कि कोल्ड स्टोरों के मालिक किसानों को भाड़ा माफ कर आलू ले जाने देने को तैयार हैं। जबकि आलू के दाम थोक बाजार में इस कदर गिर चुके हैं कि किसान भाड़ा माफी के बावजूद आलू नही निकाल रहे हैं।किसानों का तर्क है कि बाजार की ऐसी हालत में कोल्ड स्टोर से आलू निकाल कर मंडी तक ले जाने का पैसा भी चुकता हो पाना मुश्किल है। गौरतलब है कि इस साल प्देश में 130 लाख टन आलू की पैदावार हुई है, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है।आलू की सीजन के शुरुआत में इसकी कीमत थोक बाजारों ंमें 400 रुपए प्ति क्विंटल थी, जो कि अब घटकर 200 रुपए रह गयी है। कोल्ड स्टोरेज मालिकों ने आलू किसानों से इस साल 110 से 125 रुपए के बीच का भाड़ा लगाया था। आलू निकालने पर किसानों को सभी खर्च मिलाकर माल 550 रुपये प्रति क्विंटल पड़ेगा। ऐसे में कोई घाटा उठाने को तैयार नही है। (BS Hindi)
27 नवंबर 2008
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