नई दिल्ली November 24, 2008
कपास के किसानों के लिए मुश्किल की घड़ी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस साल उत्पादन कम होने के बावजूद कीमत में गिरावट है तो दूसरी तरफ घरेलू बुनकर भी कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उसे खरीदने को तैयार नहीं है।
घरेलू टेक्सटाइल मिलों को उम्मीद है कि खरीदार नहीं मिलने की स्थिति में कपास का मूल्य कम हो जाएगा। और तब जाकर वे कपास की खरीदारी करेंगे। फिलहाल कपास का समर्थन मूल्य 2600 रुपये प्रति क्विंटल है। बुनकर इसका लगातार विरोध कर रहे हैं।पिछले दो सालों के दौरान भारतीय कपास की अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी मांग बन गयी थी। इस कारण किसानों का रुझान कपास की ओर अधिक हो चला। पिछले साल (2007-08) के दौरान कपास का उत्पादन 315 लाख बेल (1 बेल = 170 किलोग्राम) था तो इस साल लगभग 322 लाख बेल के उत्पादन की उम्मीद है। हालांकि कपास उत्पादन के लिहाज से विश्व में तीसरा स्थान रखने वाले अमेरिका में इस साल 13 से लेकर 30 लाख टन कम कपास होने की संभावना है। लेकिन विश्वव्यापी मंदी के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की मांग जोर नहीं पकड़ रही है। भारतीय टेक्सटाइल एसोसिएशन के पदाधिकारी अशोक जुनेजा कहते हैं, 'बाहर के देशों में इन दिनों यार्न की कोई मांग नहीं है। ऐसे में कपास की खरीदारी कौन करेगा।' पिछले डेढ़ महीनों के अंदर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमत में 30 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गयी है। भारतीय बाजार चालू कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार से 10 फीसदी तक अधिक बतायी जा रही है। दूसरी तरफ टेक्सटाइल उद्योग से जुड़े छोटे मिल मालिकों का कहना है कि अमेरिका एवं यूरोप में आयी मंदी के कारण धागे की मांग 50-60 फीसदी तक कम हो गयी है।दूसरी बात है कि मांग नहीं होने के बावजूद कपास का समर्थन मूल्य 2600 है जो कि काफी ज्यादा है। फिलहाल कपास की मंडियों में सरकार द्वारा ही अधिकतम खरीदारी की जा रही है।दूसरी तरफ इस साल पिछले साल के मुकाबले कपास के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना के बावजूद मंडियों में कपास की आवक कम हो रही है। पिछले साल नवंबर माह के दूसरे सप्ताह तक 46 लाख बेल से अधिक कपास की आवक हो चुकी थी जो इस साल लगभग 10 लाख बेल कम है। मिल मालिकों के मुताबिक जो सक्षम किसान है वे कपास के भाव में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन दक्षिण भारत के 40 फीसदी से अधिक छोटी बुनाई मिलों के बंद होने के कारण कपास के दाम बढ़ने की संभावना कम नजर आ रही है। जुनेजा के मुताबिक तमिलनाडु में तो 60 फीसदी से अधिक बुनाई मिल बंद हो चुकी है। (BS Hindi)
25 नवंबर 2008
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