मुंबई November 19, 2008
वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच भारत में सोने की मांग में तीसरी तिमाही के दौरान रेकॉर्ड 66 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई।
सुरक्षित विकल्प के तौर पर देखते हुए सोना निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। चालू कैलेंडर वर्ष की तीसरी तिमाही में देश में सोने की मांग बेंचमार्क 36,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 18,434 करोड़ रुपये था। टन के संदर्भ में कहें तो सोने की मांग तीसरी तिमाही में 31 प्रतिशत बढ़ कर 250 टन हो गई जबकि साल 2007 की तीसरी तिमाही में यह 190 टन थी। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल द्वारा लांच किए गए गोल्ड डीमांड ट्रेंड्स के अनुसार, देश में सोने के आभूषणों की मांग बढ़ कर 178 टन हो गई जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 29 प्रतिशत अधिक है। सोने की मांग में ऐसी वृध्दि तब देखी गई है जब खराब होती आर्थिक परिस्थितियों की वजह से उपभोक्ता कम खर्च कर रहे हैं। मौद्रिक आधार पर देखें तो इसमें 78 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है और यह 12,300 करोड़ रुपये से बढ़ कर 21,900 रुपये हो गया है।तिमाही में सोने की मांग की शुरुआत मंद रही लेकिन ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आई तेजी से सोने के आभूषणों की मांग बढ़ने और शहरी उपभोक्ताओं द्वारा सोने को सुरक्षित विकल्प के तौर पर चुनने से बाद में इसमें तेजी आई। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने कहा है कि भारत के अधिकांश क्षेत्र में मॉनसूनी बारिश अच्छी हुई है, परिणामस्वरूप त्योहारी सीजन के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों द्वारा सोने पर जम कर खर्च किया गया।तीसरी तिमाही के दौरान सोने की कीमतों में आई कमी से सोने कुल निवेश मांग में वृध्दि हुई। हालांकि, तीसरी तिमाही की शुरुआत में मांग में मंदी देखी गई लेकिन सोने की कीमतों में आई गिरावट के बाद इसमें जबर्दस्त उछाल आया। 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच सोने की कीमतों में डॉलर और रुपये दोनों ही दृष्टि से 21 प्रतिशत की गिरावट आई जो दिवाली से पहले की खरीदारी के लिए उपभोक्ताओं के लिए लाभदायक रहा। खुदरा खरीदारों द्वारा 71 टन सोने के बार और सिक्कों की खरीदारी की गई जो किसी तिमाही का दूसरा बड़ा रेकॉर्ड है। (BS Hindi)
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