21 नवंबर 2008
खाद्य तेल इंडस्ट्री को है निर्यात छूट की दरकार
कोलकाता : ग्लोबल मंदी की आंच में भारतीय निर्यात कारोबार पर भी काफी असर दिखाई दे रहा है। निर्यात में आ रही मंदी को देखते हुए घरेलू खाद्य तेल इंडस्ट्री को सरकार से मदद की दरकार है। खाद्य का मानना है कि सरकार को करीब सात महीने पहले खाद्य तेलों के निर्यात पर लगे तमाम प्रतिबंधों को अब उठा लेना चाहिए। इस साल मार्च तक देश से खाद्य तेलों के निर्यात पर कोई रोक नहीं थी। कंज्यूमर पैक और बल्क दोनों तरह से खाद्य तेलों के निर्यात को सरकार की मंजूरी हासिल थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजारों में इनकी कीमतों में हुए इजाफे की वजह से सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी। सरकार ने इसके निर्यात पर 17 मार्च से रोक लगा दी थी। आसमान छू रही महंगाई पर नियंत्रण के लिए सरकार ने खाद्य तेलों की कीमतों पर रोक लगाने का फैसला लिया था। हालांकि, मौजूदा स्थितियों को देखकर माना जा रहा है कि सरकार को खाद्य तेलों के निर्यात पर छूट देनी चाहिए। इस बारे में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने इस प्रतिबंध पर रोक हटाने के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्री कमलनाथ और कृषि मंत्री शरद पवार को पत्र लिखा है। एसईए ने अपने पत्र में सरकार को लिखा है कि पिछले तीन महीनों में माहौल पूरी तरह से बदल गया है। दुनिया के बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों में इस दौरान 30 फीसदी की गिरावट हुई है। इसके अलावा घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतें गिरकर 25,000 से 30,000 रुपए प्रति टन हो गई हैं। इस साल खरीफ की फसल के बढ़िया होने की वजह से खाद्य तेलों की कीमतों के आगे भी मौजूदा स्तर पर बने रहने की उम्मीद है। मौजूदा खरीफ सीजन की मूंगफली की फसल के बढ़िया रहने की उम्मीद जताई जा रही है। इस सीजन में करीब 50 लाख टन मूंगफली के उत्पादन होने की उम्मीद है। मौजूदा वक्त में अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूंगफली के तेल की बेहतर मांग (ET Hindi)
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