24 नवंबर 2008
व्यापारियों-मिल मालिकों ने खरीदा 60 फीसदी कम धान
गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और अमेरिका और यूरोप के बाजार में मंदी का असर इस बार पंजाब के राइस मिल्र्स और चावल निर्यातकों पर साफ दिख रहा है। पंजाब के राइस मिल्र्स और व्यापारियों ने इस बार पिछले साल की तुलना में 60 फीसदी कम धान की खरीद की है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा जुटाए गये ताजे आंकड़ों के अनुसार इस बार 20 नवंबर तक पंजाब की मंडियों में 151 लाख टन धान की आवक हो चुकी है जिसमें से मात्र 10 लाख टन यहां के मिल्र्स और व्यापारियों ने खरीदा है। पिछले साल यहां की मंडियों मंे आए 143 लाख टन धान में से व्यापारियों और मिल्र्स द्वारा 23 लाख टन धान की खरीद की गई थी। व्यापारियों द्वारा इस साल 60 फीसदी कम खरीदारी करने के सवाल पर पंजाब राइस मिल्र्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम सैनी ने कहा कि पंजाब में धान की खरीद पर पड़ोसी राज्य हरियाणा की तुलना में कर 4 फीसदी अधिक है। राज्य सरकार ने इस बार 2 फीसदी आरडीएफ (रूरल डवलपमेंट फंड) अलग से लगा दिया है, जबकि 2 फीसदी पीआईडीएफ (पंजाब इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फंड) पहले से ही लिया जा रहा है। इसके अलावा यहां मार्केट फीस भी 2 फीसदी है जो पड़ोसी राज्य हरियाणा में एक फीसदी है। यहां आढ़ती कमीशन भी ढ़ाई फीसदी है जो अन्य राज्यों में एक से ढ़ेड फीसदी है।सैनी का कहना है कि गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबन्ध, अमेरिका और यूरोप के बाजार में मंदी के चलते और सरकार द्वारा चावल का लेवी रट कम दिए जाने से इस बार राइस मिल्र्स ने अपना धान खरीदने के बजाय सरकारी धान की मिलिंग करने में ही भलाई समझी है। वहीं, एफसीआई द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों अनुसार इस बार पंजाब की मंडियों में बासमती धान की आवक पिछले साल की तुलना में तकरीबन चार गुना बढ़ गई है। पिछले साल यहां की मंडियों में 2.त्त लाख टन बासमती धान की आवक हुई थी जो इस बार 11 लाख टन है। पंजाब की मंडियों में अभी तक 151 लाख टन की आवक हो चुकी है जिसमें से 11 लाख टन धान की खरीद एमएसपी घोषित होने से पहले ही मंडियों में बिक्री के लिए आ गई थी, जबकि 130 लाख टन एमएसपी घोषित होने के बाद आई है। इसमें से सरकारी एंजेंसियों अभी तक 120 लाख टन धान की खरीद की गई है। एफसीआई पंजाब क्षेत्र के महाप्रबन्धक सर्वजीत सिंह ने बताया कि इस बार एफसीआई ने 2.ख् लाख टन धान की खरीद की है जबकि पिछली बार 1.ब् लाख टन धान की खरीद की गई थी। (Business Bhaskar)
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