नई दिल्ली November 24, 2008
रसायन बाजार में मंदी का घोल मिल गया है। कीमत का रंग मध्दिम पड़ गया है तो कारोबार धुंधला हो चला है।
रुपये के मूल्य में भारी गिरावट के कारण चीन से आयातित रसायन में 70 फीसदी की कमी दर्ज की जा चुकी है। घरेलू रसायन निर्माता माल उठाने के लिए दुकानदार से गुहार कर रहे हैं। इधर दुकानदार कह रहे हैं कि लगातार हो रही मंदी के कारण रसायन की ग्राहकी 60 फीसदी गिर चुकी है। पेट्रोलियम से सीधे तौर पर जुडे होने के कारण रसायन के कारोबार में अभी और मंदी की आशंका है। हालांकि सोडा एश (21 रुपये प्रति किलोग्राम) जैसे कुछ रसायन अपने पूर्व स्तर पर कायम है और उनका कारोबार मंदी से अछूता बताया जा रहा है।रसायन कारोबारियों के मुताबिक ओलंपिक खेल के दौरान चीन ने जून से लेकर अगस्त महीने तक रसायन की आपूर्ति बंद कर दी थी। लिहाजा स्थानीय रसायन निर्माताओं ने इसका जमकर फायदा उठाया। उस दौरान कच्चे तेल की कीमत 145 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गयी। लिहाजा रसायन की कीमत में जबरदस्त इजाफा देखा गया। रसायन बाजार में 40 फीसदी माल की आपूर्ति चीन से ही होती है। चीन से आपूर्ति बाधित होने के कारण 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकने वाले सोडियम हाइड्रो सल्फाइट की कीमत जुलाई के आखिर तक 110 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गयी तो साइट्रिक एसिड की कीमत दोगुनी बढ़ोतरी के साथ 80 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी। नाइट्राइट 35 रुपये प्रति किलोग्राम से उछलकर 100 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर चला गया तो सल्फयूरिक एसिड की कीमत 3 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 18 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर जा पहुंची। पिपरमेंट के भाव 600 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 1200 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए। लेकिन अब ये सभी रसायन लगभग पुराने स्तर पर आ चुके हैं। दिल्ली के तिलक बाजार स्थित रसायन व्यापारी संघ के पदाधिकारी विनोद अग्रवाल कहते हैं, 'जब कीमत में तेजी होती है तब कारोबार में भी तेजी होती है क्योंकि उन्हें और बढ़ोतरी का डर होता है। इसके विपरीत मंदी के दौरान कीमत में और गिरावट की संभावना के कारण कारोबार और गिर जाता है। फिलहाल यही हो रहा है।' कारोबारियों ने बताया कि कीमत में और गिरावट की उम्मीद इसलिए भी है कि अमेरिका एवं यूरोप का बाजार खराब होने के कारण चीन इन दिनों लगातार सस्ते दामों पर रसायन देने की पेशकश कर रहा है। लेकिन एक डॉलर का मूल्य 50 रुपये होने के कारण वहां से आयात करने की हिम्मत नहीं हो पा रही है। दूसरी बात है कि तेजी के दौरान खरीदे गए रसायन की खपत भी नहीं हो पायी है। तिलक बाजार रसायन बाजार व्यापार संघ के प्रधान सुशील गोयल कहते हैं, 'जो साइट्रिक एसिड 80 रुपये प्रति किलोग्राम कारोबारियों ने खरीदे थे उसकी कीमत 58 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी है। व्यापारी घाटे में ही सही पहले उस माल को निकालना चाहेगा।' उन्होंने बताया कि कच्चे तेल की कीमत 145 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से 50 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गयी है। और इसमें गिरावट की और उम्मीद है। लिहाजा रसायन व्यापारियों का धंधा अभी और चौपट होगा। रसायन का इस्तेमाल मुख्य रूप से डिटरजेंट बनाने से लेकर घरेलू व औद्योगिक उत्पादों के निर्माण में होता है। (BS Hindi)
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