मुंबई November 24, 2008
पिछले साल के जमा 1 करोड़ टन के भंडार के चलते कृषि और खाद्य मंत्री शरद पवार को उम्मीद है कि इस साल सफेद (परिष्कृत) चीनी के आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी।
पवार के मुताबिक, इस बात की पूरी संभावना है कि इस साल 2.1 से 2.2 करोड़ टन चीनी की कुल मांग की पूर्ति आसानी से हो जाएगी। ऐसे में इस साल सफेद चीनी के आयात की जरूरत नहीं होगी। पवार रविवार को कमोडिटी एक्सचेंजों के सातवें राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्धाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।हालांकि पवार ने चेताया कि सीजन 2004-05 जैसी मौजूदा स्थिति की समीक्षा की जा सकती है। गौरतलब है कि तब कच्ची चीनी के बजाय सफेद चीनी का आयात किया गया था। पवार ने बताया कि इस बार उम्मीद है कि देश में चीनी का उत्पादन पिछले साल के रिकॉर्ड 2.8 करोड़ टन की तुलना में घटकर महज 1.8 से 1.9 करोड़ टन रह जाएगा। उत्पादन में गिरावट की वजह मानसून लौटने में देरी के साथ ही पेराई में देर होना है। इस वजह से खेतों में नमी ज्यादा रही है जिसके चलते पेराई में देरी हो रही है और उत्पादकता कम होने की संभावना है। पवार के मुताबिक, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गुजरात में पेराई देर से शुरू होने और खेतों में बहुत ज्यादा नमी होने से उत्पादन में कमी होने जा रही है। पवार ने बताया कि इस बार गेहूं का उत्पादन पिछले साल के 7.84 करोड़ टन के स्तर को हर हाल में छू लेगा। उन्होंने कहा कि रकबे में कमी के बावजूद गेहूं का उत्पादन पिछले साल जितना जरूर रहेगा। इस साल तो सरकार ने पिछले साल से भी एक लाख टन ज्यादा यानी कुल 7.85 करोड़ टन गेहूं पैदा करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि मानूसन लौटने में देर होने से उत्तर प्रदेश में गन्ने की पेराई में देरी हुई है। इसलिए उत्तर प्रदेश में गेहूं के रकबे में कमी की आशंका जताई जा रही है। पवार का मानना है कि इस वजह से बुआई में देरी तो हो सकती है पर रकबे में कोई खास कमी नहीं होगी। पवार ने इनकार किया कि हाल ही में सोया तेल पर लगाए गए 20 फीसदी के सीमा शुल्क की तरह पाम तेल पर आयात शुल्क लगाने की उनकी कोई योजना है। उन्होंने कहा कि हम पूरे मामले पर गहरी नजर रख रहे हैं। यदि तिलहन की कीमतें कभी न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे गईं तो सरकार इससे जुड़े लोगों के हित में कदम उठाएगी। बहरहाल तिलहन की कीमतें एमएसपी स्तर से ऊंची हैं। (BS Hindi)
24 नवंबर 2008
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