लखनऊ November 24, 2008
उत्तर प्देश में खाद के गहराते संकट की खबरों के बीच राज्य सरकार ने एक बार यह साफ किया है कि समूचे प्देश में खाद की कोई कमी नही है।
राज्य के कृषि निदेशक राजित राम वर्मा का कहना है कि खाद की कमी नही है समस्या वितरण की हो रही है। उनका कहना है कि इस साल बीते साल से 30 फीसदी ज्यादा खाद केंद्र से मिली है।वर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि डीएपी की फिलहाल कहीं कोई कमी नही है। इस साल अब तक न केवल यूरिया भरपूर मात्रा में मिली है बल्कि एनपीके भी ज्यादा मिली है। उन्होंने माना कि साधन सहकारी समितियों से खाद का वितरण किया जाता और सुस्ती की वजह से खाद का पूरा वितरण हो नही पा रहा है। यूरिया इस साल नवंबर तक 10.03 लाख टन खाद आ गयी है पर वितरण केवल 3.30 लाख टन ही खाद बंट पायी है। पिछले साल अब तक केवल 9 लाख टन यूरिया ही केद्र सरकार से मिली थी। जहां तक डीएपी का सवाल है नवंबर के आखिरी सप्ताह में 6.75 लाख टन खाद आ चुकी पर वितरण केवल 3.95 लाख टनों का ही हो पाया है।श्री वर्मा के मुताबिक अकेले अक्टूबर माह में ही किसानों को 2.5 लाख टन डीएपी मिल गयी थी जबकि मार्च तक प्देश में 10.5 लाख टन डीएपी उपलब्ध करायी जाएगी। कृषि निदेशक का कहना है कि राज्य में इस साल डीएपी की कुल मांग 9.5 लाख टन होने का अनुमान है जिसके सापेक्ष 10.5 लाख टन खाद मिलनी थी। पर उन्होंने बताया कि किसान उपज अच्छी करने के लिए खाद का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं जिसके चलते अब खाद की मांग बढ़कर 14 लाख टन हो गयी है। राज्य सरकार ने केंद्र को अपनी बढ़ी जरुरत के बारे में बता कर अधिक खाद की मांग कर ली है।गौरतलब है कि डीएपी के संभावित संकट को देखते हुए किसानों ने एडवांस में खाद जमा करना शुरु कर दिया है। श्री वर्मा के मुताबिक डीएपी खाद को ज्यादा से ज्यादा एक महीने तक ही इस्तेमाल में लाना चाहिए उसके बाद वो बेकार हो जाती है। उन्होंने बताया कि किसानों को बोआई के बाद तो डीएपी का इस्तेमाल बिलकुल नही करना चाहिए। गोंडा जनपद के किसान और साधन सहकारी समिति के पदाधिकारी अमरेंद्र सिंह ने भी इस बात का समर्थन किया और बताया कि किसानों को पहले जैविक खाद को ही अपनाना चाहिए। उनका कहना है कि किसानों को डीएपी के साथ ही बराबर मात्रा में गोबर की खाद भी इस्तेमाल में लानी चाहिए।कृषि निदेशक ने माना है कि अधिक गेंहू का उत्पादन करने वाले पीलीभीत जिले में डीएपी का संकट बना है जबकि बदायूं में समस्या पर काबू पा लिया गया है। (BS Hindi)
25 नवंबर 2008
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