18 नवंबर 2008
मांग हल्की होने से प्लांटों की सोयाबीन पेराई धीमी
सोयामील की निर्यात मांग में कमी और खाद्य तेलों के दामों में गिरावट जारी रहने से कंपनियों ने सोयबीन की पेराई कम कर दी है। इस साल देश भर के सोया प्लांटों ने अक्टूबर माह में पांच लाख टन सोयाबीन की पेराई की है जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 28 फीसदी कम है। पिछले साल अक्टूबर में सात लाख टन सोयाबीन की पेराई हो गई थी।सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन (सोपा) के अनुसार पिछले साल नवंबर में 15 लाख टन सोयाबीन की पेराई की गई थी जबकि इस साल नवंबर माह में केवल 13 लाख टन पेराई का अनुमान है। सोपा के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल के अनुसार सोयामील की निर्यात मांग में कमी और खाद्य तेलों के दामों में गिरावट जारी के कारण कंपनियां सोयाबीन की पेराई कम कर रही है। साथ ही गिरते दामों को देखते हुए मंडियों में सोयाबीन की आवक कम हो गई है। किसान सोयाबीन के दामों में सुधार का इंतजार कर रहे है। पिछले साल के मुकाबले इस समय सोयामील की निर्यात मांग चालीस फीसदी तक कम हो गई है। इस साल अक्टूबर में सोयामील का निर्यात पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 42 फीसदी कम हुआ है।इस साल मार्च के बाद से विदेशी व घरेलू बाजारों में खाद्य तेलों के दामों में लगातार गिरावट जारी है। जिसका असर देश में तिलहन के दामों पर पड़ रहा है। हाजिर बाजारों में सोयाबीन के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1390 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर तक उतर आए हैं। मौजूदा सीजन की शुरूआत में सोयाबीन के दाम 2800 रुपये प्रति क्विंटल तक थे। कृष्णा सॉल्वेंट के प्रबंध निदेशक ओ.पी. गोयल के अनुसार इस समय कंपनियां सोयाबीन की खरीद कम कर रही हैं। वे सोयाबीन के दामों में स्थिरता का इंतजार कर रही है। उसके बाद ही सोयाबीन की पिराई में तेज़ी आने की संभावना है। (Business Bhaskar)
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