नई दिल्ली November 17, 2008
खाद्य तेल के खेल में किसान से लेकर आयातक तक 'बोल्ड' हो चुके हैं। पाम ऑयल के चित होने के समर्थन में सोयाबीन किसान की हालत खराब चुकी है।
दूसरी तरफ वनस्पति तेल के आयातकों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। पाम तेल में दर दूसरे दिन हो रही गिरावट के कारण पहले ही वे आयात से तौबा किए बैठे हैं तो आयात शुल्क लगाने की चर्चा गर्म होने से उन्होंने बिल्कुल ही आयात का नया आर्डर बंद कर दिया है।हालांकि सरकारी आयात लगातार जारी है और इस साल पिछले साल के मुकाबले 5 फीसदी से अधिक वनस्पति तेल के आयात की संभावना है। तेल कारोबारियों का कहना है कि सरकार को अब तुरंत तेल के आयात पर कम से कम 30 फीसदी तक शुल्क लगाना चाहिए।सोयाबीन की नयी फसल एवं सरकार द्वारा पाम तेल के लगातार आयात से तेल का बाजार बिल्कुल ही सुस्त हो चला है। क्रूड पाम ऑयल (सीपीओ) पर फिर से आयात शुल्क लगाने एवं रिफाइन पर शुल्क बढ़ाने की मांग को लेकर सरकार पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन ने सरकार को चेतावनी दी है कि खाद्य तेलों पर तत्काल सीमा शुल्क लगाया जाना चाहिए ताकि किसानों एवं वनस्पति उद्योग को बचाया जा सके। (BS Hindi)
18 नवंबर 2008
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