28 नवंबर 2008
चीनी में स्टॉकिस्टों की खरीद रह सकती है कमजोर
नए सीजन में चीनी के उत्पादन में कमी और बकाया स्टॉक भी बीते वर्ष के मुकाबले कम होने के बावजूद भी स्टॉकिस्टों की खरीद कम रहने की संभावना है। जानकारों का मानना है कि आगामी वर्ष के शुरू में लोकसभा चुनाव होने हैं तथा चुनावी वर्ष में सरकार चाहेगी कि आवश्यक वस्तुओं के दामों में तेजी न आए। वैसे भी संवेदनशील कृषि जिंस होने के नाते सरकार की चीनी के दामों पर पैनी नजर रहती है। दिल्ली के चीनी व्यापारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि उत्तर प्रदेश में कुछ मिलों ने गन्ने की पेराई शुरू की है लेकिन मिलों द्वारा पुरानी चीनी की बिकवाली बढ़ा देने से घरेलू बाजारों में चीनी के भावों में गिरावट आई है। पिछले एक सप्ताह में दिल्ली बाजार में एम ग्रेड चीनी के भावों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 1880 से 1920 रुपये और एस ग्रेड चीनी के भाव घटकर 1830 से 1870 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मुजफ्फरनगर के चीनी व्यापारी जय प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि चालू वर्ष में गन्ने के क्षेत्रफल में आई कमी और गन्ना मिलों पेराई में देरी की वजह से चीनी के उत्पादन में गिरावट तो आएगी लेकिन स्टॉकिस्टों की खरीद नए सीजन में कमजोर रहने की संभावना है। उन्होंने बताया कि चालू वर्ष में देश में चीनी का उत्पादन 190 लाख टन का रह सकता है जबकि बकाया स्टॉक इस समय 80-90 लाख टन से ज्यादा का नहीं है। उन्होंने बताया कि जैसे ही राज्य की सभी मिलों में चीनी का उत्पादन शुरू होगा इसके मौजूदा भावों में और भी 40 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट तो आ सकती है लेकिन भारी गिरावट के आसार नहीं है।चालू सीजन में देश में चीनी उत्पादन का अनुमान 220 लाख टन और बकाया स्टॉक 110 लाख का है। कृषि मंत्री शरद पवार का कहना है कि उत्पादन व बकाया स्टॉक मिलाकर देश में चीनी की कुल उपलब्धता पर्याप्त रहेगी। (Business Bhaskar....R S Rana)
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