नई दिल्ली November 19, 2008
व्यापारियों का कहना है कि क्रूड सोयाबीन तेल पर 20 फीसदी का आयात शुल्क लगाने से खाद्य तेल बाजार पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।
उनके मुताबिक सरकार को क्रूड सोयाबीन तेल की जगह रिफाइन सोयाबीन तेल के आयात शुल्क को बढ़ाना चाहिए। फिलहाल रिफाइन तेल पर 7.5 फीसदी का आयात शुल्क है। मंगलवार को सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से बुधवार को खाद्य तेल बाजार पर कोई असर देखने को नहीं मिला। मंगलवार को इंदौर के तेल बाजार में 20 रुपये प्रति 10 किलोग्राम की तेजी जरूर आयी थी जो बुधवार को 10 रुपये प्रति किलोग्राम कम हो गयी। बुधवार को सोयाबीन के भाव में 80 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी देखी गयी। पाम तेल पर भी कोई फर्क नहीं पड़ा। कांडला पोर्ट पर उसकी कीमत बुधवार को पहले की तरह ही 23-24 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर कायम रही।दिल्ली वेजीटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक इस दौरान सोयाबीन तेल का आयात बहुत ही कम मात्रा में होता है। इस समय घरेलू सोयाबीन का सीजन होता है और इस साल पिछले साल के मुकाबले सोयाबीन की लगभग 10 फीसदी अच्छी पैदावार है। डिवोटा के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद्र अग्रवाल कहते हैं, 'क्रूड सोया तेल पर 20 फीसदी और रिफाइन पर 7.5 फीसदी का शुल्क है। ऐसे में कोई क्रूड तेल क्यों आयात करेगा। जिसे मंगाना होगा वह रिफाइन ही मंगा लेगा। सरकार का यह फैसला तर्कसंगत नजर नहीं आ रहा है।'तेल कारोबारियों के मुताबिक क्रूड पाम ऑयल (सीपीओ) पर आयात शुल्क लगने पर ही सोयाबीन में मजबूती के साथ तेल बाजार का रुख कुछ सकारात्मक होगा। व्यापारियों ने बताया कि मंगलवार को इंदौर में सरकार के फैसले से सोयाबीन तेल 20 रुपये तेजी के साथ 390 रुपये प्रति 10 किलोग्राम के स्तर पर चला गया था जो कि बुधवार को 380 रुपये प्रति 10 किलोग्राम के स्तर पर आ गया।सोयाबीन की कीमत बुधवार को इंदौर की मंडी में 1450 रुपये प्रति क्विंटल रही जबकि मंगलवार को इसकी कीमत 1370 रुपये प्रति क्विंटल थी। खाद्य तेल के थोक कारोबारी हेमंत गुप्ता कहते हैं कि सरकार को क्रूड सोयाबीन पर रिफाइन के मुकाबले कम आयात शुल्क रखना चाहिए ताकि घरेलू मिल चलती रहे। सोयाबीन किसानों को फायदा पहुंचाना है तो सीपीओ पर 30-35 फीसदी तक का आयात शुल्क लगाना होगा। (BS Hindi)
20 नवंबर 2008
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