कोच्चि November 20, 2008
प्राकृतिक रबर की कीमतें आज 65 रुपये प्रति किलो से नीचे आ गईं।
टायर क्षेत्र की कमजोर मांग के कारण बेंचमार्क ग्रेड आरएसएस-4 की कीमतें 36 महीने के बाद घट कर 64 रुपये प्रति किलो के स्तर पर आ गई है। तीन दिनों के भीतर ही रबर की कीमतों में 12 रुपये प्रति किलो की कमी आई है। रबर बाजार में अभी और गिरावट आने की संभावना है। विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले कुछ ही दिनों में रबर की कीमतें घट कर 50 रुपये प्रति किलो हो जाएंगी। उनके अनुसार अगला समर्थन स्तर 50 रुपये प्रति किलो का होगा। कोट्टायम के कारोबारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि वैश्विक आर्थिक संकट के कारण औद्योगिक क्षेत्रों की मांग कमजोर होने से रबर बाजार में भारी गिरावट आने की संभावना है। एक अग्रणी स्टॉकिस्ट ने बताया कि को यह बात भली-भांति पता है कि घरेलू बाजार में रबर का भंडार पर्याप्त है और उत्पादन का मुख्य समय चल रहा है। वर्तमान वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां बड़े पैमाने पर निर्यात किए जाने के मामले में बाधक हैं, यद्यपि वैश्विक कीमतें भारतीय कीमतों की तुलना में 22 रुपये प्रति किलो अधिक हैं (बैंकॉक-87 रुपये प्रति किलो)। यही कारण है कि विभिन्न राज्यों में रबर का जाना फिलहाल सीमित है और ये मानदंड कीमतों में मामूली बढ़ोतरी की संभावना को कम कर देते हैं। उद्योगों की तरफ से भी कोई जल्दबाजी नहीं दिख रही है, खास तौर से टायर निर्माता जो भारी मात्रा में रबर की खरीदारी करते हैं अभी शांत हैं। टायर उद्योग को इस बात का भरोसा है कि जल्द ही रबर की कीमतें घट कर 50 रुपये प्रति किलो के स्तर पर आ जाएंगी। खबर यह भी है कि पिछले तीन-चार महीनों में ऑटोमोबाइल निमार्ताओं द्वारा टायर की खरीद में काफी कमी आई है और यही कारण है कि रबर की खरीदारी में मंदी देखने को मिल रही है। वर्तमान में रबर का मुख्य उत्पादन सीजन चालू है और यह जनवरी के अंत तक चलेगा। रबर बोर्ड के अस्थाई आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के अंत तक रबर का भंडार 1,44,450 टन का था जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 40,192 टन अधिक है। इसलिए, किसी भी परिस्थिति में घरेलू बाजार को अगले 12 से 15 महीनों मक आपूर्ति की कमी नहीं झेलनी होगी।वैश्विक वित्तीय उठापटक के कारण विदेशी कारोबार के जरिए माल खपाना कठिन है। वर्तमान में प्राकृतिक रबर की वैश्विक कीमतें भारतीय कीमतों की तुलना में 22 रुपये प्रति किलो अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार, कीमतों के कम होते हुए भी जापान और चीन जैसे प्रमुख उपभोक्ता देशों में निर्यात करना संभावित विकल्प नजर नहीं आता क्योंकि उनकी कुल खरीद काफी कम है। ऐसा इसलिए चल रहा है क्योंकि विश्व भर में ऑटोमोबाइल क्षेत्र गंभीर मंदी के दौर से गुजर रहा है। नवंबर 2005 में रबर की न्यूनतम घरेलू कीमतें 65 रुपये प्रति किलो, 2006 में 71 रुपये प्रति किलो और 2007 में 73 रुपये प्रति किलो थीं। पिछले साल जून में आरएसएस-4 ग्रेड की कीमत 78 रुपये प्रति किलो थी और 14 जुलाई तक कीमतें 72 रुपये से 79 रुपये के दायरे में आ गई थीं। उसके बाद कीमतों में तेजी आनी शुरू हुई और इस साल 30 अगस्त को कीमतें बढ़ कर 142 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गईं। वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण प्राकृतिक रबर की कीमतों में तेजी का दौर वैश्विक स्तर पर पलट गया और बैंकॉक तथा टोक्यो जैसे दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बाजार भी पिछले 5-6 हफ्ते से इससे प्रभावित हो रहे हैं। प्राकृतिक रबर के उत्पादकों और कारोबारियों के लिए कच्चे तेल की कीमतों में आ रही गिरावट गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि प्राकृतिक रबर की कीमतें कच्चे तेल की कीमतों से प्रभावित होती हैं। रबर की कीमतों में बढ़ोतरी की मुख्य वजह कच्चे तेल की कीमतों का तेजी से बढ़ना था। जब कच्चे तेल की कीमतें 140 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गई थीं तो रबर की कीमतें भी बढ़ कर 142 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थीं। कच्चे तेल की कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी के कारण उद्योगों ने कृत्रिम रबर पर अपनी निर्भरता कम कर दी थी।धराशायी हो रही है रबर की कीमतेंमहीना औसत मूल्य07 नवंबर 99 रुपये08 जनवरी 95 रुपये08 अप्रैल 100 रुपये08 मई 115 रुपये08 जून 120 रुपये08 जुलाई 130 रुपये08 अगस्त 135 रुपये08 सितंबर 138 रुपये08 अक्टूबर 95 रुपये20 नवंबर 65 रुपये
(BS Hindi)
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