25 नवंबर 2008
पूसा 1121 को बासमती के दर्जे पर पाक को आपत्ति
पंजाब हरियाणा, कनार्टक और आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर बोए जाने वाले पूसा1121 को बासमती का दर्जा दिए जाने से पड़ोसी देश पाकिस्तान की त्यौरियां चढ़ गई हैं। उसने बासमती की परिभाषा में संशोधन किए जाने का विरोध जताया है। संभावना है कि बासमती की परिभाषा के मसले पर भारत व पाकिस्तान में अगले फरवरी के दौरान बातचीत हो सकती है।सूत्रों के मुताबिक इस मसले पर अगले साल दोनों देशों के प्रतिनिधियों की बैठक होने वाली है। माना यह जा जा रहा है कि अगले साल फरवरी में इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत होगी। दोनों ही देश निश्चित परिभाषा के तहत भौगोलिक स्थिति (जीआई) के पेटेंट का संयुक्त रूप से दावा करते हैं। माना जाता है कि इसी कारण पाकिस्तान एकतरफा तौर पर बासमती की परिभाषा बदलने का विरोध कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस महीने के शुरू में इस्लामाबाद में हुए बैठक में यह मामला उठाया गया था। जीआई के तहत उन उत्पादों को लाया जाता है, जो किसी खास भोगोलिक स्थान में ही पैदा होते हैं। सूत्रों का कहना है कि अगले साल जनवरी या फरवरी में होने वाली बैठक में दोनों देशों के वैज्ञानिक इस मसले पर चर्चा करेंगे। गौरतलब है कि देश में पूसा 1121 की खेती कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के अलावा पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी होता है। इस साल आंध्र प्रदेश में करीब एक हजार एकड़ में और कर्नाटक में करीब पांच सौ एकड़ में पूसा 1121 की खेती हुई है। पाकिस्तान को भय है कि भारत इसे बासमती का दर्जा देकर अपना कारोबार बढ़ा सकता है। दोनों देशों के कुछ ही ऐसे इलाके ऐसे हैं, जहां बोई जाने वाली सभी बासमती में सभी विशेषताएं पाई जाती हैं। भारत में आमतौर पर बासमती की खेती पंजाब और हरियाणा में होती है। पंजाब में बोई जाने वाली कई किस्मों की खेती पाकिस्तान में भी होती है। पूसा 1121 के शामिल होने के बाद छह पारंपरिक किस्में हो गई हैं जबकि दो संकर किस्में हैं। जानकारों का मानना है कि पूसा 1121 एक ऐसा किस्म है, जिसकी खेती किसी भी इलाके में करने के बावजूद इसकी सारी विशेषताए मौजूद रहेंगी। (Business Bhaskar)
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