18 नवंबर 2008
कपास निर्यातकों की सरकार से बेल आउट पैकेज की मांग
नई दिल्ली : दुनिया भर में लगातार गिरती कीमतों से तालमेल बिठा पाने में असफल हो रहे भारतीय कपास निर्यातकों ने सरकार से बेल आउट पैकेज की मांग की है। सरकार की आक्रामक खरीदारी से मंडियों में कपास की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के स्तर पर बनी हुई है। इस कारण कारोबारियों के पास दो ही रास्ते हैं या तो वे सरकारी कीमतों पर खरीदारी करें या फिर दुकान बंद कर दें। इससे राहत मिलने की कम संभावना को देखते हुए उन्होंने सरकार से मांग की है कि एमएसपी और दुनिया के बाजारों की कीमत के बीच का अंतर सरकार सब्सिडी के जरिए पूरा करे। कॉटन असोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट पी. डी. पटौदिया का कहना है, 'कपास निर्यात के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। पिछले कपास सीजन में 15,000 करोड़ मूल्य के 120 लाख बेल्स निर्यात करने वाले उद्योग को तगड़ा झटका लगा है।' मार्च में 12 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद कपास की कीमतें 54 फीसदी तक गिर चुकी हैं। पटौदिया के अनुसार, नए सीजन के शुरू होने के बाद निर्यात में 95 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। उन्होंने कहा, 'इस स्थिति से उबारने के लिए तुरंत उपाय किए जाने की जरूरत है।' खबरों के अनुसार, छूट के लिए उद्योग जगत के प्रतिनिधि कृषि मंत्री शरद पवार और टेक्सटाइल मंत्री शंकर सिंह वाघेला से पिछले 10 दिनों में मुलाकात कर चुके हैं। मुंबई के एक निर्यातक का कहना है, 'दोनों ही मंत्रियों का रुख सकारात्मक रहा है। हमें उम्मीद है जल्द ही हमारे पक्ष में फैसला हो सकता है।' उद्योग का मानना है कि वैश्विक कीमत और एमएसपी के बीच करीब 450 रुपए प्रति क्विंटल का अंतर है। उन्होंने कहा, 'निर्यात करने के लिए हमें कम से कम 200 रुपए प्रति क्विंटल की सब्सिडी चाहिए। इस बात पर सभी सहमत हैं। तय सिर्फ यह होना है कि सब्सिडी कैसे और कितनी मिलेगी।' उद्योग ने कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से कहा है कि वह कारोबारियों को 200 रुपए प्रति क्विंटल छूट पर कपास बेचे। सरकार की तरफ से सीसीआई सबसे ज्यादा खरीदारी करने वाली एजेंसी है। उसके पास सबसे ज्यादा स्टॉक रहता है। हालांकि टेक्सटाइल मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक कोई ठोस प्रस्ताव नहीं आया है। (ET Hindi)
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