नई दिल्ली November 06, 2008
अगले एक पखवाड़े में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फैसला लेने की संभावना है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने संवाददाताओं से बातचीत में ये संकेत दिए। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर फैसले केसाथ-साथ गैर-बासमती चावल की बढ़ती कीमत को ध्यान में रखते हुए सरकार खुले बाजार में प्रवेश करने का फैसला भी ले सकती है। एक सेमिनार में हिस्सा लेने का बाद कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा - यह मुद्दा कैबिनेट के सामने रखा जाएगा और अगले 15 दिन में हम इस पर फैसला ले लेंगे। कृषि मूल्य एवं लागत आयोग ने वर्तमान रबी सीजन में गेहूं का समर्थन मूल्य 1080 रुपये प्रति क्विंटल करने की सिफारिश की है। वर्तमान में गेहूं का समर्थन मूल्य एक हजार रुपये है।पिछले 15 दिन में गैर-बासमती चावल में आए उछाल केबारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि हम इस पर नजर रखे हुए हैं और अगर जरूरत पड़ी तो जिन राज्यों में कीमतें बढ़ी हैं, वहां हम अतिरिक्त मात्रा जारी करेंगे।इसके अलावा हम खुले बाजार में भी प्रवेश कर सकते हैं ताकि सीमित मात्रा में इसकी सप्लाई की जा सके। पवार ने हालांकि इस बात को खारिज कर दिया कि सरकार खाद्य तेलों पर आयात शुल्क लगाने का फैसला तत्काल ले रही है और गैर-बासमती चावल निर्यात पर लगी पाबंदी भी तत्काल हटाने जा रही है।उन्होंने कहा कि ये मसले मंत्रियों के समूह वाली एम्पावर्ड कमिटी के सामने रखी जाएगी, जो तीन हफ्ते बाद बैठक कर सकती है, लिहाजा इस बाबत तत्काल फैसला नहीं हो सकता। पवार ने कहा कि सरकार धान और तिलहन की फसल की बुआई का जायजा ले रही है, खासकर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में हुई बुआई की बाबत। उन्होंने कहा कि तिलहन की कीमत अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा है। खाद्य पर बनी मंत्रियों के ग्रुप ने इस हफ्ते बैठक की थी और उस बैठक में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क लगाने का फैसला टल गया था। मंत्रियों ने गैर-बासमती चावल निर्यात पर लगी पाबंदी जारी रखने पर सहमति जताई थी। खाद्य तेल निर्माताओं के एक वर्ग ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरती कीमत को ध्यान में रखते हुए इस पर फिर से आयात शुल्क लगाने की मांग की थी। चीनी मिलों को दी हिदायतनई सप्लाई के लिए जगह बनाने की बाबत पवार ने चीनी मिलों से कहा है कि वे अपने पुराने स्टॉक तत्काल बेचे। उन्होंने कहा कि चीनी मिल चीनी के उत्पादन की स्थिति को दरकिनार कर अपना स्टॉक खाली करे। उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त स्टॉक है और नई चीनी रखने के लिए जगह नहीं है। सितंबर में समाप्त हुए सीजन में चीनी उत्पादन 265 लाख टन रहा था, जो इस साल घटकर 220 लाख टन पर आने का अनुमान है। इस सीजन की शुरुआत में सरकार के पास 110 लाख टन चीनी का स्टॉक है। पवार ने कहा कि इस बार गन्ने की सप्लाई मांग से ज्यादा रहेगी। पिछले सीजन का काफी गन्ना बचा हुआ है। (BS Hindi)
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