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06 नवंबर 2008

सर्दी न आने से चने को लेकर किसान परेशान

सर्दियां आने के बावजूद पर्याप्त ठंडक न होने से चने की फसल पर बुरा असर पड़ने लगा है। आंध्रप्रदेश व महाराष्ट्र में बोई गई चने की फसल में अंकुर न फूटने से किसान मुश्किल में फंस गए हैं। इससे मंडियों में तेजी का माहौल बनने लगा है। चने में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व राजस्थान के स्टॉकिस्टों की बिकवाली घटने से 125 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी देखी गई। कर्नाटक, आंध्रप्रदेश व महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में दिन का तापमान सामान्य से ज्यादा होने के कारण चने की बुवाई प्रभावित हो रही है जिसके कारण स्टॉकिस्टों ने बिकवाली घटा दी है। महाराष्ट्र की अकोला मंडी के चना व्यापारी बिजेंद्र गोयल ने बताया कि कर्नाटक, आंध्रप्रदेश व महाराष्ट्र में चने की बुवाई शुरूहो चुकी है लेकिन दिन का तापमान सामान्य से अधिक होने के कारण कई क्षेत्रों में पौधों में अंकुर नहीं फूटने से किसान को फिर से बुवाई करनी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि अगर जल्दी ही तापमान में कमी नहीं आई तो बोई जा चुकी फसल को और ज्यादा नुकसान हो सकता है।इसी के चलते स्टॉकिस्टों ने बिकवाली घटा दी है। पिछले एक सप्ताह में यहां चने में 125 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव 2150 से 2250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मुंबई पहुंच आस्ट्रेलियाई चने के भावों में भी पिछले एक सप्ताह में 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव 2200 रुपये व तंजानियाई चने के भाव भी 2200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। लारेंस रोड के चना व्यापारी राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि दिल्ली में मध्य प्रदेश व राजस्थान से चने की आवक घटकर 30 से 35 मोटरों की रह गई जबकि दाल मिलों की मांग बराबर निकलने से भाव बढ़कर 2250 से 2300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। पिछले एक सप्ताह में इसके भावों में 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है तथा आगामी दिनों में इसके भावों में और भी 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ने के आसार हैं।मध्य प्रदेश की छतरपुर मंडी के चना व्यापारी राजाराम अग्रवाल ने बताया कि स्टॉकिस्टों द्वारा बिकवाली घटा देने से राज्य की मंडियों में पिछले एक सप्ताह में चने के भावों में करीब 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी देखी गई। बुधवार को मंडियों में चने के भाव बढ़कर 2000 से 2050 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। उन्होंने बताया कि चने की बुवाई का कार्य तो शुरू हो चुका है लेकिन मध्य प्रदेश के उत्पादक क्षेत्रों में दिन के समय गर्मी ज्यादा होने से बुवाई के कार्य में तेजी नहीं आ पा रही है। (Business Bhaskar.............R S Rana)

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