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02 नवंबर 2008

कच्चे तेल में बड़ी गिरावट के आसार!

October 31, 2008
अमेरिकी बाजार न्यू यॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है।
उम्मीद की जा रही है कि 1983 में कारोबार की शुरुआत के बाद अब इसमें सबसे बड़ी मासिक गिरावट आने वाली है। इसकी वजह विश्व के सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते ईंधन की मांग का कम होना है।अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद में तीसरी तिमाही में कमी आई है और 2001 के बाद तेल के भाव में सबसे तेज सालाना गिरावट हुई है। इस खबर के बाद तेल की कीमतों में कमी हुई जिससे मासिक गिरावट 36 प्रतिशत तक पहुंच गई है। अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने कहा कि अगस्त में ईंधन की मांग में एक साल पहले की अपेक्षा 8.9 प्रतिशत की गिरावट आई।कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया के कमोडिटी स्ट्रेटजिस्ट डेविड मूर ने कहा कि इस समय धारणाएं काफी अस्थिर हैं और ये प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मंदी की चिंताओं से बहुत अधिक प्रभावित हो रहे हैं। मांग में आई कमजोरी को लेकर लोग बहुत चिंतित हैं। सितंबर डिलिवरी वाले कच्चे तेल में 1.60 डॉलर या 2.4 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 64.36 डॉलर प्रति बैरल हो गया। सिंगापुर के समयानुसार दोपहर 12.35 बजे न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज पर इसकी कीमत 64.51 डॉलर प्रति बैरल थी। इस महीने तेल की कीमतों में होने वाली गिरावट अभी तक के सबसे बुरे महीने, फरवरी 1986, को पीछे छोड़ सकता है। फरवरी 1986 में तेल की कीमतों में 30 प्रतिशत की गिरावट आई थी और इसकी कीमतें 13.26 डॉलर प्रति बैरल हो गई थीं। कच्चा तेल, जिसमें 11 जुलाई की रेकॉर्ड 147.27 डॉलर प्रति बैरल की कीमतों में अब तक 56 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है, पिछले वर्ष की तुलना में 32 प्रतिशत कम है। वायदा मूल्यों में 2.3 प्रतिशत की कमी आई और इसका निपटान कल 65.96 डॉलर प्रति बैरल पर किया गया। दो बड़े ऊर्जा उपभोक्ता अमेरिका और चीन द्वारा आर्थिक विकास में तेजी लाने के खयाल से ब्याज दरों में की गई कटौती के बाद 29 अक्टूबर को तेल की कीमतों में प्रति बैरल 4 डॉलर की बढ़त दर्ज की गई जो एक महीने की सबसे बड़ी बढ़त थी। तेल की कीमतें इसलिए भी बढ़ीं क्योंकि साल 1998 के बाद डॉलर में अमेरिका के प्रमुख छह कारोबारी साझेदारों की मुद्राओं की तुलना में सबसे अधिक कमजोरी आई थी।मांग में कमीविश्व के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता जापान में सितंबर के दौरान महंगाई धीमी हुई और नौकरी की संभावनाओं के हालात बदतर हो गए। जापान के सबसे बड़े रिफाइनर निप्पोन ऑयल कॉर्प ने कल कहा कि वह रिफाइंड उत्पादों की मांग में आई कमी को देखते हुए साल 2008 के शेष बचे समय में पिछले साल की अपेक्षा कम तेल की प्रोसेसिंग जारी रखेगी। पेट्रोलियम सप्लाई मंथली के अनुसार अमेरिका द्वारा अगस्त में की गई ईंधन की खपत के मासिक आंकड़ों में दैनिक 174 लाख बैरल की गिरावट देखी गई। इसे रिफाइनर्स द्वारा आपूर्ति किए उत्पादों के तौर पर मापा जाता है। उल्लेखनीय है कि अगस्त में ईंधन की दैनिक खपत 191 लाख बैरल थी। ऊर्जा विभाग द्वारा 29 अक्टूबर को प्रदर्शित किए गए रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार सप्ताहों में अमेरिका में ईंधन की मांग औसत 189 लाख बैरल प्रति दिन की रही जो पिछले साल के मुकाबले 7.8 प्रतिशत कम है। कल यूबीएस एजी ने साल 2009 के लिए तेल की कीमतों की भविष्यवाणी में 43 प्रतिशत कटौती की और इसे 105 डॉलर प्रति बैरल से घटा कर 60 डॉलर प्रति बैरल कर दिया क्योंकि वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण मांग में कमी आ सकती है।ओपेक का निर्णयऐसा लगता है कि ओपेक के सदस्य देशों उस समझौते को नजरंदाज कर दिया है जिस पर सितंबर की बैठक के दौरान सहमति हुई थी। जिनेवा स्थित सलाहकार पेट्रो लॉजिस्टिक्स लिमिटेड के अस्थाई आकड़ों के अनुसार, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (ओपेक) ने इस महीने तेल की आपूर्ति में 0.5 प्रतिशत की बढ़ातरी की क्योंकि इराक से अधिक मात्रा में निर्यात किया गया।पेट्रोलॉजिस्टिक्स के संस्थापक कॉनरैड गर्बर ने कल बताया कि ओपेक ने अक्टूबर में प्रति दिन 318.5 लाख बैरल तेल की आपूर्ति की जो सितंबर की तुलना में दैनिक 1,50,000 बैरल अधिक है। तेल की कम होती कीमतों के मद्देनजर 24 अक्टूबर को ओपेक उत्पादन में दैनिक 15 लाख बैरल की कटौती करने पर सहमत हुआ था।बढ़ सकती हैं कीमतेंदिसंबर निपटान वाले ब्रेंट क्रूड ऑयल में 1.73 डॉलर या 2.7 प्रतिशत की गिरावट आई और लंदन में इसकी कीमत 61.98 डॉलर हो गई। सिंगापुर के समयानुसार दोपहर 12.36 बजे इसकी कीमत 62.10 डॉलर प्रति बैरल थी। अमेरिका तथा चीन द्वारा ब्याज दरों में की गई कटौती और ऐतिहासिक गिरावट के बाद कीमतों में तेजी आने की आशा में कारोबारियों द्वारा की जाने वाली खरीद के कारण ईंधन की मांग बढ़ने की संभावना से अगले सप्ताह कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। (BS Hindi)

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