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04 नवंबर 2008

पूसा 1121 को मिला बासमती का दर्जा

नई दिल्ली : सरकार ने सोमवार को चावल की पूसा 1121 किस्म को बासमती के तौर पर मान्यता दे दी। इसके साथ ही देश ने बासमती की पारंपरिक किस्म के साथ ही इसकी लैब में तैयार किस्मों को भी स्वीकारने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। ज्यादा पैदावार की वजह से पूसा 1121 पंजाब और हरियाणा के किसानों के बीच धान की काफी लोकप्रिय किस्म है। सरकार के इस कदम का एक मतलब यह भी है कि अब पूसा 1121 का निर्यात करने वाले किसानों को इस पर बासमती चावल के निर्यात पर लगने वाला निर्यात शुल्क देना होगा। निर्यात शुल्क में बढ़ोतरी होने से ईरान, दुबई और सऊदी अरब में इस किस्म के चावल के खरीदारों को अब ज्यादा कीमत चुकानी होगी। इसके अलावा पूसा 1121 के निर्यात से संबंधित दूसरे नियम भी लागू होंगे। ये नियम हैं- सारे कॉन्ट्रैक्ट एपीईडीए के जरिए हों, न्यूनतम निर्यात कीमत 1,200 डॉलर या 48,000 रुपए प्रति टन हो और निर्यात केवल कांडला, काकीनाडा, कोलकाता, जेएनपीटी, मुंबई, मुंदरा और पीपावाव के जरिए हो। एक साल से भी ज्यादा वक्त से धान मिलों के मालिकों और निर्यातकों की ओर से आ रही मांग पर आखिरकार सरकार ने फैसला लेते हुए पूसा 1121 को बासमती चावल के तौर पर मान्यता दे दी है। सरकार से मान्यता मिल जाने के बाद अब देश के अंदर और बाहर पूसा 1121 को बासमती के तौर पर खरीदा बेचा जा सकेगा। हालांकि बासमती चावल की आधिकारिक परिभाषा को अभी भी बदला नहीं गया है। (ET Hindi)

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