मुंबई October 17, 2008
मौजूदा सीजन में देश का कपास उत्पादन 2.22 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। पिछले सीजन के 3.15 करोड़ गांठ (एक गांठ=170 किलोग्राम) की तुलना में अनुमान है कि इस बार 3.22 करोड़ गांठ कपास का उत्पादन होगा।
हालांकि इसका रकबा पिछले साल के मुकाबले 3.09 फीसदी घटकर 95.5 लाख हेक्टेयर की बजाय 92.6 लाख हेक्टेयर रह गया है। कपास उत्पादन को लेकर हुई पहली बैठक में यह अनुमान कॉटन एडवाइजरी बोर्ड (सीएबी) ने लगाया है। सीएबी ने कहा कि बीटी कॉटन बीजों का इस्तेमाल बढ़ने से कपास की उत्पादकता सुधरने की उम्मीद है लिहाजा इसके कुल उत्पादन में वृद्धि होने जा रही है। गौरतलब है कि पिछले सीजन में 67 फीसदी बीटी बीजों का इस्तेमाल हुआ था पर इस बार इसका इस्तेमाल बढ़कर 75 फीसदी तक पहुंच गया। सीएबी ने इस बार कपास की औसत उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 5.912 क्विंटल रहने का अनुमान व्यक्त किया है जो पिछले साल से 5.48 फीसदी ज्यादा है। मालूम हो कि पिछले सीजन में इसकी उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 5.604 क्विंटल रही थी। कपास के मुख्य उत्पादक इलाकों देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्र में इस बार कपास उत्पादन में गिरावट होने जा रही है। सीएबी का अनुमान है कि उत्तरी क्षेत्र में इस बार 8.51 फीसदी जबकि मध्य क्षेत्र में 1.54 फीसदी की कमी हो सकती है। पंजाब में सबसे ज्यादा 9 फीसदी और गुजरात में 1.79 फीसदी की कमी की संभावना जतायी जा रही है। राहत की बात है कि देश के दक्षिणी राज्यों में इस बार कपास उत्पादन में 24 फीसदी की जबरदस्त बढ़त होने की संभावना जतायी गयी है। पिछले साल दक्षिणी इलाके में कपास उत्पादन जहां 59 लाख गांठों की थी वहीं इस बार इस इलाके में 59 लाख गांठ कपास पैदा होने की उम्मीद जतायी गयी है। उत्पादकता के लिहाज से एक बार फिर गुजरात के ही सबसे आगे रहने की उम्मीद है। करीब 1.1 करोड़ गांठ कपास पैदा होने के अनुमान के साथ गुजरात की उत्पादकता इस बार करीब 7.74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहने की संभावना है। कपास की उत्पादकता इस बार आंध्र प्रदेश में 7.48 क्विंटल, तमिलनाडु में 7.1 क्विंटल और राजस्थान में 6.27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि वैश्विक मांग में हुई कमी की वजह से 2008-09 सीजन में कपास निर्यात में 10 लाख गांठों की कमी हो सकती है। गौरतलब है कि पिछले साल करीब 85 लाख गांठ कपास का निर्यात किया गया था पर इस बार केवल 75 गांठ कपास निर्यात होने की उम्मीद है। दूसरी ओर इसका आयात भी पिछले साल के 6.5 लाख गांठों के मुकाबले केवल 5 लाख गांठ रहने का आकलन लगाया गया है। (BS Hindi)
19 अक्तूबर 2008
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