नई दिल्ली INDIA A2Z NEWS केंद्रीय कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार राजनीतिक रूप से चाहे जितने ताकतवर हों, लेकिन उन्हें अपने मंत्रालय के अधीन कृषि सहकारी संगठन नैफेड के बोर्ड के आगे हार माननी पड़ी। गंभीर विवादों के बीच जिस प्रबंध निदेशक [एमडी] को नैफेड बोर्ड ने हटा दिया है, पवार के हस्तक्षेप के बाद भी उसकी बहाली नहीं हो पा रही है। पवार के जूनियर केंद्रीय मंत्री केवी. थॉमस ने तो दबाव बनाने के लिए नैफेड को बंद करने तक की धमकी दे दी, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा है।
लंबे समय से खिंच रहे नैफेड के विवाद को निपटाने के लिए पवार ने बोर्ड के चेयरमैन बिजेंदर सिंह को दो बार बुलाकर मसले को सुलझाने की हिदायत दी। इसके बावजूद चेयरमैन व बोर्ड सदस्यों के जिद के आगे शरद की एक नहीं चली। विजेंदर ने तो पवार के समक्ष अपना इस्तीफा देने पेशकश कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने बोस के कामकाज के तरीकों पर एतराज जताते हुए वापस लेने से साफ मना कर दिया। बोर्ड ने तो अब बर्खास्त तीनों सलाहकारों को भी लेने से इन्कार कर दिया है। अब तो कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव संदीप चोपड़ा को नैफेड के एमडी का अतिरिक्त का प्रभार भी दे दिया गया है।
पिछले दिनों पूर्व एमडी आनंद बोस को नैफेड बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित कर पद से हटा दिया था। साथ ही बोर्ड ने तीन सलाहकारों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद कृषि व खाद्य राज्य मंत्री केवी. थॉमस के इस विवाद में कूद जाने से मामला और उलझ गया था। उन्होंने मंत्रालय की ओर से नैफेड पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। राज्यमंत्री थॉमस ने नैफेड के बंद करने तक की धमकी दे दी। इस सहकारी संगठन के पुनर्गठन के लिए सरकार की ओर से दिए जाने वाले पैकेज को परोक्ष तौर पर रोक दिया गया। इन दबावों के बावजूद नैफेड बोर्ड अपने पारित प्रस्तावों पर अड़ा रहा। (India A2Z news)
01 दिसंबर 2010
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