आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने शुक्रवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी महासंघ (एनसीसीएफ) को तिलहन और दलहन की खरीद के लिए नामांकन की मंजूरी दे दी. इसके बाद सारी अटकलें टूट गईं.
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार नैफेड कृषि उत्पादन की खरीद पर अपने एकाधिकार समाप्त करने के मुद्दे पर सरकार से लड़ने की योजना बना रहा है.
सरकार ने अपनी ओर से नेफेड को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि इस काम के लिए कई एजेंसियों हैं. कई लोग इसे सरकार और नेफेड के बीच बेल आउट मुद्दे पर मौजूद दूरी के विस्तार के रूप में देखते है.
पाठकों पता होगा कि सरकार ने नेफेड के बेल-आउट पैकेज पर रोक लगा दी जब तक नैफेड अपना बाइ-ला में संशोधन नहीं कर लेता और अन्य शर्तें स्वीकार नहीं कर लेता.
नैफेड 30 से अधिक वर्षों से तिलहन और दलहन की खरीद में एकाधिकार रखता था. 2 या 3 बार को छोड़ इसने हमेशा सरकार के लिए घाटे पर व्यापार किया है. सूत्रों के अनुसार सरकार का यह कहना है कि हम अन्य एजेंसियों को आजमाएं और देखें कि क्या वे सरकार के लिए बेहतर परिणाम देती हैं.
सूत्रों के अनुसार नेफेड के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह पर मंत्रालय के साथ विरोध दर्ज करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
एनसीसीएफ एक राष्ट्रीय स्तर का उपभोक्ता सहकारी संगठन है जो उपभोक्ता सहकारिता और वितरण एजेंसियों के आपूर्ति-समर्थन में संलग्न है. पी.एस.एस. के तहत तिलहन और दलहन के खरीद के लिए एक एजेंसी के रूप में इसका नामांकन नेफेड के लिए हितकर नहीं है. (Bhartiya Shakarita)
01 दिसंबर 2010
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