मुंबई December 24, 2010
निर्यातकों की ओर से मांग बढऩे की उम्मीद में कपास के दाम उच्च स्तर पर ठहरे हुए हैं। निर्यातक अब दोबारा पंजीकरण शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार जनवरी के पहले या दूसरे हफ्ते से पंजीकरण का काम शुरू कर सकती है जबकि निर्यात की खेप भेजने का काम फरवरी से शुरू हो सकता है। ऐसे में बाजार जानकार निर्यातकों की मांग बढऩे की स्थिति में एक बार फिर इसकी कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना जता रहे हैं। पिछले कुछ सप्ताह से वैश्विक बाजारों में कपास की आपूर्ति की तंगी बनी हुई है जबकि दाम लगातार ऊपर चढ़ रहे हैं। गुजरात की मंडियों में बेंचमार्क किस्म शंकर-6 के दाम करीब 42,000 रुपये प्रति कैंडी के स्तर पर चल रहे हैं।ऐसे निर्यातक जिन्होंने कपास निर्यात का पंजीकरण तो करा लिया था लेकिन माल की सुपुर्दगी 15 दिसंबर से पहले नहीं हो पाई थी तो उन्हें फिर से दोबारा पंजीकरण कराना होगा। कपड़ा आयुक्त के पास अब तक कुल 22 लाख गांठ कपास की सुपुर्दगी की पुष्टिï हो पाई है जबकि इस दौरान कुल 30 लाख गांठ कपास का निर्यात किया जा चुका है। निर्यातकों को सुपुर्दगी की पुष्टिï की रिपोर्ट कपड़ा आयुक्त के पास 21 दिन के अंदर भेजनी होती है। इस आधार पर सरकार माल सुपुर्दगी के वास्तविक आंकड़ों का पता लगाने के लिए 5 जनवरी का तक का इंतजार कर सकती है। बाजार जानकारों को उम्मीद है कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) 15 जनवरी से दोबारा पंजीकरण का काम शुरू कर सकता है। सरकार ने कुल 55 लाख गांठ कपास के निर्यात की अनुमति दी थी लेकिन निर्यातक तय समय में केवल 30 लाख गांठ कपास का ही निर्यात कर पाए थे। ऐसे में शेष बचे हिस्से 25 लाख गांठ कपास के निर्यात के लिए दोबारा पंजीकरण होना है। निर्यातक इस बार जल्द से जल्द पंजीकृत कपास की सुपुर्दगी करना चाहेगा। बाजार जानकारों का पूर्वानुमान है कि इससे बाजार में अचानक निर्यातकों की मांग बढ़ सकती है और भाव में तेजी के आसार हैं। इसको देखते हुए कपास उत्पादक अभी से ही माल का स्टॉक करने लगे हैं। ताकि निर्यात मांग बढऩे की स्थिति में ज्यादा भाव मिलने पर इसे बाजार में उतारा जाए। मुुंबई के कारोबारी शिरिश शाह कहते हैं, 'कपास की निर्यातक मांग इस समय काफी अच्छी है और वैश्विक बाजारों के अनुरूप इसके दामों में तेजी आ सकती है।Ó आईसीई एक्सचेंज में कपास वायदा के भाव हाजिर बाजार की तुलना में अधिक प्रीमियम पर दर्ज हुए। कारोबारी भारत से कपास आयात कर रहे हैं और भविष्य में इसे बेच कर अच्छा मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं। बाजार सूत्रों के अनुसार कई बहुराष्टï्रीय कंपनियां भारत से कपास खरीदने के लिए सक्रिय हो गई हैं। पहले पंजीकृत 55 लाख गांठ कपास में से 6 लाख गांठ यानी करीब 11 फीसदी कपास का पंजीकरण बहुराष्टï्रीय कंपनियों द्वारा कराया गया। हालांकि कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि निर्यातकों की मांग पूरी हो जाने के बाद (जो निर्यात के लिए शेष बचे हिस्से हैं) घरेलू बाजार में एक बार फिर कीमतें नीचे आने लगेंगी। अहमदाबाद के कपड़ा व्यापारी अरुण दलाल कहते हैं, 'निर्यातकों की मांग घटने के बाद घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में कुछ नरमी आएगी। इसके अलावा कुछ दिन के बाद से बाजार में नई आवक भी शुरू हो जाएगी।Ó हालांकि वे ऐसा नहीं मानते कि इसके दाम घटकर 40,000 रुपये प्रति कैंडी के स्तर से नीचे आए जाएंगे। (BS Hindi)
25 दिसंबर 2010
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