नई दिल्ली December 27, 2010
प्याज की कीमतों में गिरावट के बाद अब लहसुन की कीमतों में भी कमी आने लगी है। एक सप्ताह के दौरान लहसुन के थोक भाव 30-40 रुपये प्रति किलोग्राम घट चुके हैं। थोक कीमतें घटने के बावजूद इसके खुदरा भाव अभी भी तेज बने हुए हैं। ऐसे में ग्राहकों को अभी भी लहसुन की महंगाई से राहत नहीं मिल सकी है। कारोबारियों का कहना है अगले माह नई फसल आने वाली है, ऐसे में लहसुन की कीमतों में और गिरावट के आसार हैं। वहीं दूसरी ओर लहसुन के निर्यात में बढ़ोतरी जारी है। चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर तक लहसुन का निर्यात दोगुने से अधिक बढ़ा है।लहसुन कारोबारी संघ आजादपुर के अध्यक्ष सुरेन्द्र बाबू ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि बीते एक सप्ताह के दौरान लहसुन की आवक सुधरी है। इस वजह से इसके थोक भाव में गिरावट आई है। लहसुन कारोबारी सन्नी सिंह भी लहसुन के दाम घटने की बात से इत्तेफाक रखते हैं। वे बताते है कि पिछले एक सप्ताह के दौरान लहसुन के थोक भाव 40 रुपये घटकर 160-170 रुपये प्रति किलो रह गए है। सिंह का कहना है कि इस दौरान लहसुन की आवक 3-4 गाडिय़ों से बढ़कर 7-8 गाड़ी दैनिक हो गई है। इस वजह से ही लहसुन की कीमतों में गिरावट आई है। वहीं दूसरी ओर थोक भाव घटने के बावजूद खुदरा बाजार में इसके दाम 300 रुपये प्रति किलो बने हुए हैं।लहसुन की कीमतों में राहत मिलने के बारे में राष्टï्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन के निदेशक आर पी गुप्ता का कहना है कि अगले माह लहसुन की नई फसल बाजार में आ जाएगी। ऐसे में उपभोक्ताओं को लहसुन की महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद है। लहसुन कारोबारी हरीश कुमार भी अगले माह लहसुन के दाम और घटने की बात कहते हैं। मालूम हो कि लहसुन की पैदावार में कमी और अधिक निर्यात के कारण पिछले साल के मुकाबले लहसुन के दाम तीन गुने तक बढ़ चुके हैं। लहसुन की निर्यात में बढ़ोतरी अभी भी जारी है। भारतीय मसाला बोर्ड के मुताबिक वित्त वर्ष 2010-11 में अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान 57.98 करोड़ रुपये मूल्य के 15,250 टन लहसुन का निर्यात हुआ है, पिछले साल की समान अवधि में 17.14 करोड़ रुपये मूल्य का 6,725 टन लहसुन निर्यात हुआ था। इस तरह इस अवधि में लहसुन के निर्यात में मूल्य के आधार पर 238 फीसदी और मात्रा के लिहाज से 127 फीसदी का इजाफा हुआ है। गुप्ता का कहना है कि मार्च महीने में अधिक गर्मी के कारण लहसुन की फसल को काफी नुकसान हुआ था, जिससे लहसुन की पैदावार में 20 फीसदी तक की गिरावट आई है। देश में सबसे अधिक मध्य प्रदेश में लहसुन की खेती की जाती है। इसके अलावा राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश अन्य मुख्य लहसुन उत्पादक राज्य है। (BS Hindi)
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