नई दिल्ली December 23, 2010
अगर आप महंगाई में इजाफे पर रो रहे हैं और इसके लिए प्याज को कोस रहे हैं तो एक बार फिर सोचिए क्योंकि प्याज आपकी जेब पर चोट बचा भी सकता है। दरअसल प्याज और दूसरी सब्जियों की वजह से महंगाई 5 महीने के उच्चतम स्तर 12.13 फीसदी पर पहुंच गई है, जिससे सरकार के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई है। मंत्रियों का अधिकार प्राप्त समूह डीजल पर होने वाला घाटा जनता की जेब से पूरा करने के लिए 30 दिसंबर को बैठक करने वाला था, लेकिन जानकारों के मुताबिक अब इसे टाला जा सकता है।दरअसल तेल कंपनियों को डीजल पर अभी 6 रुपये प्रति लीटर घाटा हो रहा है। लेकिन अगर सरकार उसके दाम में इजाफा करती है तो खाद्यान्न और फल-सब्जियों के भाव और बढ़ जाएंगे क्योंकि उनकी ढुलाई आम तौर पर ट्रक से ही होती है। प्याज के भाव पहले ही 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम पर हैं। मदर डेयरी ने इसी हफ्ते दूध के दाम 1 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए हैं, जिससे दूध भी महंगा हो गया है। ऐसे में सरकार के लिए डीजल के दाम बढ़ाना मुश्किल हैं।गुरुवार को सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति 1 हफ्ता पहले के 9.46 फीसदी से 12.13 फीसदी हो गई। इस दौरान प्याज, फल, अंडे, मांस, मछली, दूध तथा सब्जियों के दाम बढ़े। खाद्य मुद्रास्फीति में इससे पहले लगातार तीन सप्ताह सीमित उतारचढ़ाव रहा, लेकिन यह दहाई के आंकड़े से नीचे ही रही। इस साल जनवरी से खाद्य मुद्रास्फीति लगातार दहाई अंक में बनी रही। केवल जुलाई में दो सप्ताह के लिए यह नीचे उतरी थी।यस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा राव कहते हैं, 'खाने-पीने और सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी होने से सरकार डीजल महंगा करने की योजना कुछ हफ्तों के लिए टाल सकती है। लेकिन कच्चे तेल का भाव जिस तेजी से बढ़ रहा है, उससे वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में डीजल की कीमत बढऩा तय है।Óसरकार फिलहाल जिन 3 पेट्रो पदार्थों के मूल्य तय करती हहै, उनमें डीजल का थोक मूल्य सूचकांक पर सबसे ज्यादा 4.6702 फीसदी भार है। उसके बाद रसोई गैस (0.91468) और केरोसिन (0.73619) का नंबर आता है। क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, 'डीजल का मूल्य बढ़ाना बेहद मुश्किल है क्योंकि महंगाई पहले ही ज्यादा है और उसमें कमी के आसार भी अभी नजर नहीं आ रहे हैं। सरकार के लिए फैसला बहुत मुश्किल होगा। कीमत बढ़ते ही महंगाई की लपटें और तेज हो जाएंगी।Óपेट्रोल का थोक मूल्य सूचकांक पर 1.09015 फीसदी भार है। पिछले हफ्ते ही उसका भाव 2.95-2.96 रुपये प्रति लीटर बढ़ाया गया है और थोक मुद्रास्फीति के दिसंबर के आंकड़ों में उसका असर नजर आएगा। नवंबर में यह आंकड़ा 7.48 फीसदी था।एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने भी कहा कि सरकार डीजल मूल्य वृद्घि को अधिक से अधिक टालना चाहेगी। हालांकि इसकी वजह से तेल कंपनियों को जबरदस्त घाटा हो रहा है।इन कंपनियों को डीजल पर 6.08 रुपये प्रति लीटर और केरोसिन पर 17.72 रुपये प्रति लीटर घाटा हो रहा है। रसोई गैस पर घाटा 272.19 रुपये प्रति सिलिंडर है। पेट्रोल पर भी अभी उन्हें कुछ घाटा हो रहा है। इस वजह से चालू वित्त वर्ष में उनका कुल घाटा लगभग 68,000 करोड़ रुपये होगा। (BS Hindi)
24 दिसंबर 2010
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