लखनऊ December 30, 2010
पिछले कुछ दिनों से चीनी के भाव में इजाफे और गन्ने की लगातार बढ़ती किल्लत ने किसानों के वारे न्यारे कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें पेराई के इस सत्र में गन्ना खरीदने के लिए किसानों को पहले से ही भुगतान कर रही हैं।सरकार ने करीब 2 महीने पहले लगभग 5 लाख टन चीनी के निर्यात को हरी झंडी दिखाई थी। इसके बाद से चीनी के भाव में भी तेजी आई है। उस वक्त चीनी का भाव 2,750 रुपये प्रति क्विंटल था, जो अब बढ़कर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। बढ़ते भाव का फायदा उठाने से चीनी मिलें चूकना नहीं चाहतीं और ज्यादा से ज्यादा चीनी उत्पादन करना चाहती हैं। इसलिए वे चाहती हैं कि गन्ने की आपूर्ति में भी किसी तरह की रुकावट न आए।प्रदेश की मिलों ने अब तक किसानों को तकरीबन 2,280 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है, जबकि उनका बकाया महज 1,920 करोड़ रुपये था। प्रदेश में तकरीबन 40 लाख गन्ना किसान हैं। देश में सबसे ज्यादा गन्ना यहीं होता है और चीनी उत्पादन के मामले में महाराष्टï्र के बाद इसका दूसरा स्थान है।गन्ना विभाग के एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि चीनी मिलें बेहद तेजी के साथ किसानों का बकाया निपटा रही हैं। उनका मकसद गन्ने को गुड़-खांडसारी इकाइयों के पास जाने से रोकना है।उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ के अध्यक्ष सी बी पटौदिया ने कहा, 'मिलों तक गन्ने की आपूर्ति सुनिश्चित करने और गन्ने को कहीं और जाने से रोकने के लिए किसानों को फौरन भुगतान किया जा रहा है।Ó हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि चीनी के भाव में और इजाफे की सूरत अभी नजर नहीं आ रही है। उन्होंने बताया कि सरकार ने जितनी चीनी के निर्यात की मंजूरी दी है, उसमें उत्तर प्रदेश का हिस्सा महज 1.25 लाख टन है।उत्तर प्रदेश में अभी तक तकरीबन 1.79 करोड़ टन गन्ने की पेराई हो चुकी है और उससे 15.7 लाख टन चीनी बनी है। पिछले साल इस समय तक 1.53 करोड़ टन गन्ने की पेराई हुई थी और 13.2 लाख टन चीनी बनी थी। पिछले साल प्रदेश में 52 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था और इस बार 61 लाख टन चीनी उत्पादन का लक्ष्य है।प्रदेश में इस समय 123 चीनी मिलों में पेराई चल रही है। गन्ने के भाव पर विवाद और देर से बारिश होने के कारण इस बार पेराई भी देर में चालू हुई, जिसकी वजह से गन्ने में पानी भी ज्यादा हो गया।पेराई में देर की वजह राज्य समर्थित गन्ना मूल्य (205-210 रुपये प्रति क्विंटल)पर चीनी मिलों का ऐतराज भी था। जिस पर चीनी मिलें इलाहाबाद उच्च न्यायालय भी पहुंची थीं। पेराई में तेजी तब आई, जब मुख्यमंत्री मायावती ने तमाम चीनी मिलों को सख्त चेतावनी दी। (BS Hindi)
31 दिसंबर 2010
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