मुंबई December 06, 2010
सोने की आसमान छूती कीमतों के इस दौर में उपभोक्ता कम कैरट वाले सोने के आभूषणों को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि इससे उनके बजट पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। खास बात यह है कि कम कैरट वाले आभूषण ज्यादा कैरट वाले आभूषण जैसे ही नजर आते हैं। 40 साल की कामकाजी महिला आकांक्षा कुन्नूर को अप्रैल महीने में अपनी बेटी की शादी करनी है, पर सोने की बढ़ती कीमतों से वह चिंतित नजर नहीं आ रही हैं। आकांक्षा ने कैरट के मामले में थोड़ा बहुत समझौता किया तो न सिर्फ उसी बजट में उन्हें आभूषण मिल गया बल्कि देखने में भी वह ज्यादा कैरट वाले आभूषण से कमतर नहीं है।1.5 लाख रुपये के बजट में आकांक्षा 22 कैरट हॉलमार्क वाला आभूषण खरीदना चाहती थी और इस बजट में उन्हें करीब 7 तोला सोना (एक तोला बराबर 10 ग्राम) मिल जाता। लेकिन सोने की बढ़ती कीमतों को देखते हुए उसने 18 कैरट सोने के आभूषण का ऑर्डर दिया। सोने की शुद्धता (कैरट) में कटौती की वजह से उन्हें 8 ग्राम वजन का अतिरिक्त आभूषण मिल गया और उन्हें अलग से रकम भी खर्च नहीं करनी पड़ी। दिलचस्प बात यह है कि 18 कैरट स्वर्ण आभूषण देखने में और सर्टिफिकेशन के लिहाज से 22 कैरट हॉलमार्क आभूषण जैसा ही है, लिहाजा इस्तेमालकर्ताओं को इसमें कोई फर्क नजर नहीं आता।आकांक्षा की तरह कई और उपभोक्ताओं ने कम कैरट वाले स्वर्ण आभूषण का रुख कर लिया है। हालांकि आभूषण निर्माता भी गहनों में मौजूद सोने की मात्रा के हिसाब से 100 फीसदी रिटर्न की पेशकश कर रहे हैं। इस तरह से कम कैरट वाले स्वर्ण आभूषण खरीदने के लिए न सिर्फ भारत के उपभोक्ता उत्साहित हैं बल्कि विकसित देशों में भी ऐसा हो रहा है। इन विकसित देशों में दुनिया के 40 फीसदी आभूषण का खरीदार अमेरिका भी शामिल है। इसकी पुष्टि करते हुए वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के प्रबंध निदेशक (एशिया प्रशांत) अजय मित्रा ने कहा - उपभोक्ता नहीं चाहते कि सोने की उच्च कीमत से आभूषण में उनके सालाना निवेश में किसी तरह का बदलाव हो, चाहे उन्हें कैरट में कटौती ही क्यों न करना पड़े। कई उपभोक्ताओं ने चांदी के आभूषण का भी रुख कर लिया है। मीडिया में विज्ञापन देकर और होर्डिंग आदि लगाकर डब्ल्यूजीसी अमेरिका में मौजूदा उपभोक्ताओं को बनाए रखने व पुराने उपभोक्ताओं को वापस लाने के लिए अभियान चलाने की योजना बना रहा है।ऐसा ही रुख भारत में भी है। एक अनुमान के मुताबिक, 22 कैरट वाले आभूषण की बिक्री 40-50 फीसदी तक कम हुई है और यह हिस्सा अब 18 कैरट की तरफ चला गया है। वहीं महत्वपूर्ण हिस्सा चांदी के वैसे आभूषण की तरफ चला गया है जिस पर सोने का पानी चढ़ा होता है। मुंबई स्थित आभूषण निर्माता और निर्यातक तारा ज्वेल्स ने चांदी के आभूषण की बिक्री में 20 फीसदी का उछाल देखा है और कम कैरट वाले स्वर्ण आभूषण की बिक्री में 50 फीसदी का इजाफा। साल दर साल के हिसाब से सोने पर मिलने वाला रिटर्न हालांकि 24.23 फीसदी बैठता है। आभूषण निर्माता व निर्यातक गीतांजलि जेम्स के चेयरमैन मेहुल चोकसी कहते हैं - कुंदन जैसे पारंपरिक आभूषण की बाबत उपभोक्ताओं की रुचि बदली है, जिसमें अब 14 कैरट सोने का इस्तेमाल होता है जबकि पहले इसमें 18 कैरट सोने का इस्तेमाल होता था। सोने की खपत के रुख में हुए नाटकीय बदलाव का पता डब्ल्यूजीसी की तीसरी तिमाही के आंकड़ों से भी चलता है, जो बताता है कि भारत में आभूषण क्षेत्र में सोने की मांग 73 फीसदी बढ़कर 513.5 टन पर जा पहुंची है। (BS Hindi)
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