नई दिल्ली 12 21, 2010
पीपली लाइव का गाना याद है, 'सखी सैयां तो खूब ही कमात है, महंगाई डायन खाय जात है। रोजमर्रा के सामान के दाम जिस कदर बढ़ रहे हैं, उससे तय है कि महंगाई डायन फिर रुलाएगी। प्याज ही नहीं हर मामले में महंगाई नए रिकॉर्ड बनाती दिख रही है।साल की शुरुआत में खाने पीने की वस्तुएं आसमान पर थीं और साल बीतते-बीतते औद्योगिक जिंसों के दाम भी रिकॉर्ड छू रहे हैं। प्याज, लहसुन के दाम सुनकर हैरान हुए लोगों को चीनी, हल्दी और खाद्य तेल परेशान कर रहा है। औद्योगिक जिंसों में तांबा, निकल, इस्पात और एल्युमीनियम के भाव काफी बढ़ चुके हैं और अगले माह से और बढ़ोतरी के आसार हैं। शादी-ब्याह के मौसम में कपड़ों और सोने-चांदी की कीमत भी माथे पर पसीना ला रही है।ऐसे ही हालात आगे भी रहे तो नया साल महंगाई डायन की भेंट ही चढ़ जाएगा। ऐसे में ऊंची आर्थिक विकास दर, नौकरियों की बहार और पगार में बढ़ोतरी से आम आदमी को मिली खुशी पर महंगाई पानी फेर सकती है।रसोई को ही देखिए। थोक बाजार में प्याज के दाम 90 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए है और लहसुन के दाम 300 रुपये प्रति किलो से ऊपर चले गए है। जानकार मानते हैं कि महंगाई की वजह सरकारी नीतियां ही हैं। हरियाणा चैंबर ऑफ कार्मर्स के महासचिव ए एल अग्रवाल का कहना है कि सरकारी इस्पात कंपनी द्वारा इस्पात के दाम बढ़ाने से आम लोगों पर बोझ और बढ़ जाएगा। चीनी कारोबारी भीमसेन बंसल इस बारे में बताते है कि निर्यात की अनुमित देने और वायदा कारोबार फिर से शुरू करने पर चीनी कीमतों में और तेजी आएगी। (BS Hindi)
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