बेंगलुरू December 02, 2010
लंदन मेटल एक्सचेंज में अच्छा खासा भंडार होने के बावजूद एल्युमीनियम की कीमतें बढऩे वाली है और इस वित्त वर्ष के आखिर (मार्च 2011) तक कीमतें 2400-2500 डॉलर प्रति टन पर पहुंच सकती हैं। दरअसल इसकी वजह है विमानन, परिवहन और इलेक्ट्रॉनिक समेत दूसरे क्षेत्रों से इस धातु की बढ़ती मांग।लंदन मेटल एक्सचेंज में फिलहाल एल्युमीनियम की कीमत करीब 2250 डॉलर प्रति टन है। एल्युमीनियम की यह कीमत इस साल अक्टूबर के मध्य में 150 डॉलर प्रति टन के संशोधन के बाद की है।वंदना एल्युमीनियम लिमिटेड के मुख्य परिचालन अधिकारी मुकेश कुमार ने कहा - हाल के समय में इस धातु की कीमत में कुछ गिरावट देखी गई थी और अब इसमें एक बार और गिरावट की संभावना नहीं के बराबर है। मुझे उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष के आखिर तक एल्युमीनियम की कीमतें 2400-2500 डॉलर प्रति टन पर पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि विमानन, परिवहन और इलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्रों में इसकी मांग में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और कीमतों में इजाफा इसकी पृष्ठभूमि में ही होगी। उन्होंने कहा कि 42 लाख टन का उच्च भंडार कीमत के मोर्चे पर पर दबाव नहीं बना पाएगा क्योंकि ज्यादातर स्टॉक फ्यूचर डिलिवरी के लिए है।मौजूदा मांग परिदृश्य केबारे में कुमार ने कहा कि पूरी दुनिया में एल्युमीनियम की खपत 4.1 करोड़ टन पर पहुंच जाएगी, जबकि पिछले साल 3.7 करोड़ टन एल्युमीनियम की खपत हुई थी। इस तरह से पिछले साल के मुकाबले खपत में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि चीन, भारत, ब्राजील समेत कई और विकासशील देशों में खपत बढ़ रहा है।हाल के समय में तांबे और निकल जैसी धातुओं के मुकाबले एल्युमीनियम का प्रदर्शन विगत में अच्छा नहीं रहा है। उद्योगों के विशेषज्ञों की राय है कि हतोत्साहित करने वाले अमेरिकी नौकरी के आंकड़े, यूरोपीय देशों में फैलता कर्ज संकट, चीन के केंद्रीय बैंक द्वारा मौद्रिक सख्ती और हाल में उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच हुए टकराव ने जिंस बाजार पर असर डाला है। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों में आधारभूत धातुओं की कीमतें कम हुई हैं।कुमार ने कहा कि अमेरिका व यूरोप के आर्थिक वातावरण में चिंताएं अभी मौजूद हैं, लेकिन कीमत के मोर्चे पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। देश के अन्य विनिर्माताओं (एल्युमीनियम) ने भी तेजी की संभावना जताई है। नैशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (नाल्को) के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा - एलएमई में तेजी से होने वाले उतारचढ़ाव को देखते हुए कीमत के रुख का अनुमान लगाना मुश्किल है। हालांकि उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष के आखिर तक कीमतें 2000-2500 डॉलर प्रति टन के दायरे में रहेगी। उन्होंंने यह भी कहा कि एल्युमीनियम की कीमतें 2000 डॉलर प्रति टन से नीचे जाने की संभावना काफी कम है। इस मसले पर कार्वी कॉमट्रेड के एक विश्लेषक ने कहा कि वैश्विक बाजार में मांग-आपूर्ति की स्थिति को देखते हुए एल्युमीनियम की कीमतें मौजूदा स्तर से आगे जाएगी। उन्होंने कहा कि मौद्रिक सख्ती केबावजूद चीन में एल्युमीनियम की मांग में अभी भी मजबूती है और यूरोप में जारी कर्ज संकट से भी इस जिंस पर बहुत ज्यादा विपरीत असर नहीं पड़ेगा। हालांकि उन्होंने कहा कि मजबूत डॉलर इस धातु के भविष्य के नजरिये को झटका दे सकता है। लंदन मेटल एक्सचेंज में कीमत में होने वाले उतारचढ़ाव के बारे में उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में वहां इसकी कीमतों में संशोधन हो सकता है और इसके बाद यानी वित्त वर्ष के आखिर तक इसके 2500 डॉलर प्रति टन पर पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि एलएमई में इसके भंडार में पिछले कुछ दिनों में हुई बढ़ोतरी से संकेत मिलता है कि बाजार में इसकी मांग का परिदृश्य अच्छा रहेगा। (BS Hindi)
03 दिसंबर 2010
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