मुंबई December 08, 2010
रबर की ऊंची कीमतों और तैयार टायर के दाम न बढऩे के चलते टायर निर्माताओं का मुनाफा तेजी से सिकुड़ रहा है। पिछले एक साल के दौरान टायर कंपनियों का औसत शुद्घ लाभ 5 फीसदी से सिकुड़कर लगभग शून्य पर पहुंच चुका है। यदि रबर के दामों में बढ़ोतरी का यही स्तर रहा तो आने वाले समय में कंपनियों का मुनाफा जल्द ही नकारात्मक जोन में भी जा सकता है। जेके टायर के निदेशक (मार्केटिंग) ए एस मेहता कहते हैं, 'प्राकृतिक रबर की कीमतों में उछाल से हमारा मार्जिन बुरी तरह घट रहा है। हाल के समय में सभी कंपनियों के मुनाफे पर धक्का पहुंचा है। टायर बनाने में 40 से 45 फीसदी प्राकृतिक रबर की जरूरत होती है। इसके दाम बढ़ाने से टायर का लागत खर्च बढ़ गया है। इससे मुनाफे पर असर पडऩा तय है।Ó पहले सभी यह उम्मीद कर रहे थे कि अक्टूबर के बाद से रबर के दामों में गिरावट आने लगेगी। लेकिन कीमतों में गिरावट आने की बात तो दूर इसके दाम लगातार बढ़ ही रहे हैं। जाहिर है इसका असर कंपनियों के मार्जिन पर पड़ रहा है।उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार में रबर की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार को तत्काल कोई कदम उठाना चाहिए। सरकार को रबर पर आयात शुल्क कम करने के संबंध में भी विचार करना चाहिए। यह फिलहाल 20 फीसदी है। आयात शुल्क कम करने का असर घरेलू बाजार में रबर की कीमतों पर पड़ सकता है क्योंकि यहां कुल घरेलू मांग का करीब 8 से 10 फीसदी हिस्सा आयात से पूरा होता है। घरेलू बाजार में प्राकृतिक रबर की कीमत बढ़कर 208 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच चुकी है। एक साल पहले की तुलना इसमें दोगुनी की वृद्घि हुई है। टोक्यो कमोडिटी एक्सचेंज में रबर के दाम 30 साल के उच्चतम स्तर को छू गए। सोमवार को इसकी कीमत 378.8 येन प्रति किलोग्राम (4569 डॉलर प्रति टन) दर्ज की गई थी। इस बीच टायर निर्माताओं ने अपने संगठन एटमा (ऑटोमोटिव टायर मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन) द्वारा लगाए गए इस आरोप से इनकार कर दिया है कि रबर की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव के पीछे अहमदाबाद के नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) में होने वाला वायदा कारोबार जिम्मेदार है। एमआरएफ के उपाध्यक्ष (मार्केटिंग) कोशी वर्गीज कहते हैं, 'इस सामय घरेलू बाजार में रबर की काफी किल्लत है जिससे मांग की पूर्ति नहीं हो पा रही है। मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ते असंतुलन के चलते दाम लगातार बढ़ रहे हैं।Ó हालांकि उन्होंने माना कि सीमित आपूर्ति के चलते वायदा बाजार में भी रबर की कीमतों में उछाल दर्ज हो रही है। यह बहुत हद तक हाजिर बाजार में भी कीमतें बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। इस बीच देश में नवंबर माह के दौरान रबर का उत्पादन 5.4 फीसदी घटने की खबर है। पिछले साल इसी अवधि में जहां रबर का कुल उत्पादन 93,500 टन रहा था वहीं इस साल यह गिरकर 88,500 टन रह। दूसरी तरफ, चालू वित्त वर्ष के पहले छह माह (अप्रैल-सितंबर) में देश में रबर का उत्पादन करीब 28 फीसदी बढ़ा है। जबकि इस दौरान निर्यात में भी 18 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एटमा द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक सभी तरह के टायरों के निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई। (BS Hindi)
10 दिसंबर 2010
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