लखनऊ December 02, 2010
उत्तर प्रदेश में गन्ने की पेराई में तेजी आने लगी है। देश के दूसरे बड़े चीनी उत्पादक राज्य में अब तक 95 मिलों में गन्ने की पेराई शुरू हो गई है।इसमें से ज्यादातर मिल निजी क्षेत्र के हैं। राज्य में निजी क्षेत्र की मिलों की संख्या 102 है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस सीजन में राज्य के 128 मिलों में गन्ना पेराई का काम होगा। अब तक जिन मिलों में पेराई शुरू हुई है, उनमें से ज्यादातर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बाकी बची मिलों में भी पेराई जल्द ही शुरू होने वाली है।इस सीजन में पेराई देर से शुरू होने के लिए दो वजहों को जिम्मेदार बताया जा रहा है। इसमें पहला है देर से बारिश होना और इस वजह से जमीन में नमी का स्तर ज्यादा होना और दूसरी वजह है गन्ने के मूल्य को लेकर पैदा हुआ विवाद।2 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में प्रति क्विंटल 40 रुपये की बढ़ोतरी करने की घोषणा की थी। इसके बाद उद्योग जगत ने इतना पैसा देने से यह कहते हुए मना किया कि गन्ने से अपेक्षा के मुताबिक चीनी नहीं बन पा रही है। उद्योग जगत ने कहा कि वह पिछले साल के एसएपी यानी 165 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक दर से पैसा नहीं दे सकता। चीनी उद्योग से जुड़े लोगों ने यह कहते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया कि केंद्र द्वारा उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) करने के बाद राज्य सरकार के पास एसएपी लागू करने का अधिकार नहीं है। इस सीजन के लिए केंद्र ने एफआरपी 139 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय को अभी इस मामले में फैसला सुनाना है। प्रदेश में गन्ना पेराई शुरू होने में हो रही देरी से नाराज होकर मुख्यमंत्री मायावती ने मिलों को सख्त आदेश जारी किए और हाल के दिनों में पेराई में देरी करने की वजह से कुछ मिलों पर प्रशासन की तरफ से कार्रवाई भी हुई है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अब तक उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने 2.1 करोड़ टन गन्ने की पेराई की है और इससे 17 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। गन्ना विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस साल गन्ने से चीनी बनने की दर 8.1 फीसदी है लेकिन उम्मीद है कि पेराई सत्र आगे बढऩे पर यह 9.5 फीसदी हो जाएगी।इस साल प्रदेश में 61 लाख टन चीनी उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था। पहले 63.2 लाख टन चीनी उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था। पर बाढ़ की वजह से फसल को हुए नुकसान के बाद लक्ष्य घटा दिया गया। पिछले साल प्रदेश में 52 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)
03 दिसंबर 2010
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