भोपाल December 13, 2010
मौसम के अनुकूल न होने के चलते इस बार मध्य प्रदेश में रबी की फसलों को भारी नुकसान पहुंचने की आशंका है। इसके चलते राज्य के 37 जिलों में रबी फसलों की बुआई प्रभावित हुई है। खास तौर पर दलहन की फसलों को सबसे अधिक नुकसान होने की आशंका बनी हुई है। इससे उत्पादन लगभग 30 फीसदी तक कमी हो सकती है। इसको देखते हुए राज्य के कृषि विभाग को दो बार बोआई लक्ष्य संशोधित भी करना पड़ा था। इसके पहले सोया उत्पादकों को भी इल्ली की मार झेलनी पड़ी है। वर्तमान बुआई सत्र में इल्ली लगने का प्रमुख कारण बुआई के समय कम वर्षा और सामान्य से भी अधिक तापमान को बताया जा रहा है। आमतौर पर रबी की फसलों की बोआई 15 अक्टूबर से शुरू होकर दिसंबर के पहले हफ्तों तक की जाती है। बुआई के दौरान प्रदेश में अधिकतर समय तक बारिश नहींं हुई। इसके बावजूद किसानों ने पानी की व्यवस्था करके समय पर बुआई तो कर दी, लेकिन अब खराब मौसम दलहन की फसलों का दुश्मन बना हुआ है। इल्ली लगने वाली फसलों में अधिकतर 1 माह के आस-पास बोआई वाली फसलें हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, दलहन में बुआई के 2 से 3 हफ्तों में ही अंकुरण आने शुरू हो जाते हैं, जबकि इस बार अंकुरण के बाद पौधों के मुरझाने का सिलसिला ज़ारी है। ऐसे में फसलों को भारी नुकसान होने की संभावना है। हालांकि इसके बावजूद कृषि विभाग इस नुकसान को मानने को तैयार नहीं है।कृषि विभाग के सांख्यिकी सेक्शन के अधिकारी रजत ने बताया कि दलहन की फसलों में इल्ली के प्रकोप की कोई बात सामने नहीं आर्ई है। कई जगह मौसम अनुकूल न होने से थोड़ी बहुत समस्या जरूर है। हालांकि अभी रबी की फसलों की बुआई जारी है। उन्होंने कहा कि अगर किसी जिले में इल्ली या अन्य कारणों से फसल को नुकसान हो रहा है, तो उसको देखा जाएगा। वर्तमान में मटर, मसूर, मूंग और चना जैसी सभी रबी की फसलें इल्ली से ग्रसित हैं। हालांकि चने और मसूर पर इसका प्रभाव अपेक्षाकृत ज्यादा है। कई जगह तो मसूर का पौधा मुरझा जाने के चलते किसानों को दूसरी फसल भी बोनी पड़ी है। खंडवा के किसान अशरफी लाल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि जिले में इस बार दलहन की फसल को मौसम ने खासा नुकसान पहुंचाया है। (BS Hindi)
13 दिसंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें