28 दिसंबर 2010
लाल मिर्च के भाव में गिरावट संभव
आंध्रप्रदेश के प्रमुख लाल मिर्च उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ से आने वाली फसल को करीब 25 से 30 फीसदी नुकसान होने की आशंका है। इसलिए मसाला निर्माताओं के साथ ही स्टॉकिस्टों की खरीद बढ़ गई है जबकि बिकवाली पहले की तुलना में कम हो गई है। ऐसे में चालू महीने में वायदा बाजार में लालमिर्च की कीमतों में करीब 40.7 फीसदी और हाजिर बाजार में 30 फीसदी की तेजी आ चुकी है। स्टॉकिस्टों की सक्रियता से मौजूदा कीमतों में चार-पांच फीसदी की और तेजी आने के बाद मुनाफावसूली से कीमतों में गिरावट आने की संभावना है। वायदा में भारी तेजी एनसीडीईएक्स पर निवेशकों की खरीद से चालू महीने में लाल मिर्च की कीमतों में 40.7फीसदी की भारी तेजी आ चुकी है। एक दिसंबर को फरवरी महीने के वायदा अनुबंध में लाल मिर्च का भाव 5,466 रुपये प्रति क्विंटल था जो शुक्रवार को बढ़कर 7,666 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। फरवरी के वायदा अनुबंध में लालमिर्च में 4,965 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं। एंजेल ब्रोकिंग के एग्री कमोडिटी विश£ेशक बदरुदीन ने बताया कि चालू महीने में उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ से फसल को नुकसान हुआ है। इसीलिए स्टॉकिस्टों के साथ मसाला निर्माताओं की तरफ से लाल मिर्च की मांग बढ़ी हुई है जिससे तेजी को बल मिला है। मौजूदा कीमतों में और भी 400-500 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने के बाद मुनाफावसूली से लाल मिर्च की कीमतों में गिरावट आने की आशंका है। फसल को 30फीसदी नुकसान की आशंका आंध्रप्रदेश के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ से लाल मिर्च की आने वाली नई फसल को 25 से 30 फीसदी नुकसान होने की आशंका है। पिछले साल आंध्रप्रदेश में लाल मिर्च का उत्पादन 1.25 करोड़ बोरी (एक बोरी-40 किलो) का हुआ था। आंध्रप्रद्रेश कृषि विभाग के अनुसार चालू सीजन में लालमिर्च की बुवाई 42 हजार हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 48 हजार हेक्टेयर में हो चुकी थी। ऊंचे भाव में निर्यात मांग घटी अशोक एंड कंपनी के डायरेक्टर अशोक दत्तानी ने बताया कि दिसंबर के शुरू तक पाकिस्तान, चीन, मलेशिया और बंगलादेश की अच्छी मांग बनी हुई थी लेकिन दाम ऊंचे होने के कारण इन देशों के आयातकों की मांग पहले की तुलना में कम हो गई है। इसीलिए लाल मिर्च की कीमतों में गिरावट आने की आशंका है। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाल मिर्च का भाव 2.54 डॉलर प्रति किलो चल रहा हैं। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों (अप्रैल से अक्टूबर) के दौरान लाल मिर्च के निर्यात में 26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान लाल मिर्च का निर्यात बढ़कर 1,41,000 टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 1,11,750 टन का ही निर्यात हुआ था। बकाया स्टॉक कम गुंटूर चिली मर्चेंटस एसोसिएशन के सचिव एस कोठारी ने बताया कि इस समय गुंटूर में लाल मिर्च का 15-16 लाख बोरी का स्टॉक बचा हुआ है जबकि अन्य मंडियों में करीब 8-9 लाख बोरी का स्टॉक बचा हुआ है। खराब मौसम के कारण नई फसल की आवक जनवरी के बजाए फरवरी में बनने की संभावना है। इसीलिए स्टॉकिस्टों ने बिकवाली घटा दी है। पिछले सप्ताह भर में ही लोकल स्टॉकिस्टों ने करीब डेढ़ से दो लाख बोरी की खरीद की है। मसाला निर्माताओं की मांग भी बनी हुई है इसीलिए मौजूदा कीमतों में और भी चार-पांच फीसदी की तेजी आने की संभावना है। हाजिर में 30 फीसदी की तेजी गुंटूर के थोक व्यापारी विनय बूबना ने बताया कि चालू महीने में लाल मिर्च की कीमतों में 1,500 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। 334 क्वालिटी का भाव बढ़कर 5,900-6,500 रुपये, ब्याडग़ी क्वालिटी का भाव 9,000-9,500 रुपये, तेजा क्वालिटी का 7,500-7,600 रुपये और फटकी क्वालिटी का 3,200-3,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। इस समय दैनिक सौदे 35 से 40 हजार बोरी के हो रहे हैं। स्टॉकिस्टों की खरीद ज्यादा निकल रही है इसीलिए मुनाफावसूली से कीमतों में गिरावट आने की आशंका है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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