भुवनेश्वर December 27, 2010
बांग्लादेश ने भारत में जूट की बोरी बेचे जाने पर गैर शुल्क पाबंदी लगाए जाने का विरोध किया है। बांग्लादेश ने इसके लिए विदेश मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि बांग्लादेश में तैयार जूट की बोरी की भारतीय बाजारों में बिक्री पर लगाई गई पाबंदी हटाई जाए। बांग्लादेश ने यह भी कहा है कि भारत में तैयार जूट की बोरी को बाजार में लाने के लिए इस तरह की पाबंदी का सामना नहीं करना पड़ता है और न ही बांग्लादेश की सरकार ने इस तरह की शर्त लगाई हैे। भारत सरकार ने कुछ दिन पहले अपने एक आदेश में कहा था कि बांग्लादेश में तैयार होने वाले जूट की बोरी में तेल का अंश मात्रा 3 फीसदी से ज्यादा न हो। लेकिन यह पाया गया कि भारतीय बाजार में बिक रहे बांग्लादेशी जूट की बोरी में तेल का अंश 6 फीसदी से भी ज्यादा है। बताया जाता है कि भारत सरकार ने यह पाबंदी घरेलू जूट उद्योग को संरक्षण देने की नीति के तहत लगाई है। ताकि बांग्लादेश से जूट की बोरी के आयात को हतोत्साहित किया जा सके। सरकार ने घरेलू जूट उद्योग के संरक्षण के लिए विशेष तौर पर जूट पैकेजिंग मैनडेटरी एक्ट (जेपीएमए) 1987 में भी कुछ बदलाव किए गए। नियम के तहत देश में खाद्यान्न और चीनी जैसी खाद्य वस्तुओं की पैकेजिंग जूट की बोरी में ही करने का प्रावधान किया गया। ताकि देश में निर्मित जूट की बोरी की बिक्री बढ़ सके। बांग्लादेश ने शिकायत की है कि जूट की बोरी में ऑयल कंटेंट की मात्रा को घटाकर 3 फीसदी तक सीमित करना बांग्लादेश के जूट निर्माताओं के लिए संभव नहीं है। बांंग्लादेश का कहना है भारत सरकार केवल बांग्लादेश से जूट आयात को हतोत्साहित करने के लिए इस तरह का कदम उठा रही है। हालांकि भारत के जूट आयुक्त ने बांग्लादेश के इस तरह के आरोपों को मानने से इनकार कर दिया है। बिनोद किस्पोट्टïा का कहना है, 'भारत में तैयार सभी तरह के जूट उत्पाद भारतीय मानक ब्यूरो के मानदंडों के अनुरूप होते हैं। इसके अलावा भारत सरकार बांग्लादेश की तरह जूट उत्पाद निर्यातकों को 10 फीसदी की नकद सब्सिडी नहीं देती है।Ó बांग्लादेश सरकार जूट उत्पाद निर्यातकों को नकद सब्सिडी देती है जिसके चलते वे अंतरराष्टï्रीय बाजारों में इसकी बिक्री पर भारी छूट की पेशकश करते हैं। जूट मिल संघ के पदाधिकारी भी मानते हैं कि बांग्लादेशी जूट की बोरी के चलते भारतीय जूट की बोरी की बिक्री प्रभावित हो रही है। (BS Hindi)
28 दिसंबर 2010
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