मुंबई December 21, 2010
साल 2011 में पहली जनवरी से चीनी आयात पर सरकार 60 फीसदी का आयात शुल्क बरकरार रख सकती है। पिछले साल आपूर्ति की किल्लत को दूर करने के लिए सरकार ने जून 2009 से 31 दिसंबर 2010 तक आयात शुल्क घटाकर शून्य कर दिया था। इस फेरबदल से पहले चीनी आयात पर 60 फीसदी का शुल्क लगता था और यह साल 2000 से लागू है।कृषि मंत्रालय आयात शुल्क में कमी करने का सुझाव देता रहा है ताकि जरूरत के समय आयात महंगा न पड़े। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इस बाबत मंत्रालय चाहता है कि आयात शुल्क 10 से 30 फीसदी के दायरे में हो। सूत्रों ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में वित्त मंत्रालय आयात शुल्क को 60 फीसदी से नीचे लाने का इच्छुक नहीं है।सूत्रों ने कहा - मौजूदा परिस्थिति में बेहतर उत्पादन को देखते हुए आयात की दरकार नहीं है। अगर हम ऐसा करते हैं तो घरेलू बाजार में बिक्री के लिहाज से यह लाभदायक नहीं होगा। ऐसे में अगर आयात शुल्क में कमी की जाती है तो भी किसी को फायदा नहीं मिलेगा। उच्च आयात शुल्क और इसके निहितार्थ से जुड़े सवाल उन परिस्थितियों में उठ खड़े होते हैं जब मांग में तेजी से बढ़ोतरी होती है और आपूर्ति में गिरावट आती है। ऐसे में कृषि मंत्रालय आयात शुल्क को उचित स्तर पर रखने की बाबत काम में जुटा हुआ है और औपचारिक रूप से इसने वित्त मंत्रालय को सुझाव भेज दिया है।सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क में कटौती की बाबत औपचारिक प्रस्ताव जनवरी 2011 में चीनी उत्पादन के आकलन के बाद भेजा जाएगा। कृषि मंत्रालय को उम्मीद है कि जनवरी 2011 तक उसे गन्ने का रकबा, उत्पादन और चीनी उत्पादन आदि के बारे में सही अनुमान हासिल हो जाएगा। सूत्रों ने कहा कि इन चीजों को बजट की सिफारिशों के तौर पर मंत्रालय को भेजा जाएगा। आधिकारिक तौर पर इस साल 245 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है, जबकि उद्योग ने 255 लाख टन चीनी ïउत्पादन का अनुमान लगाया है। देश में 230 लाख टन चीनी की खपत का अनुमान है। बेहतर कीमत मिलने की आस में सरकार ने हाल में 5 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी है। इससे पहले 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति एडवांस्ड लाइसेंस स्कीम के तहत दी गई थी और फिर बंदरगाह से इसे पुनर्निर्यात की अनुमति दी गई थी। (BS Hindi)
22 दिसंबर 2010
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