कोच्चि December 19, 2010
पिछले कुछ सप्ताह के दौरान बाजार में आपूर्ति घटने से नारियल, खोपरा और नारियल तेल के दामों में भारी वृद्घि हुई है। बाजार सूत्रों के अनुसार केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक से अगले 5 से 6 सप्ताह तक आपूर्ति में तंगी रहने का अनुमान है। बताया जाता है कि इन राज्यों में असमय बारिश ने नारियल की फसल को भारी क्षति पहुंचाई है। इसके चलते बाजार में इसकी आवक और घटने की आशंका है जिससेे इसके दामों में अभी और बढ़ोतरी हो सकती है। स्थानीय मंडियों में नारियल के दाम बढ़कर 12 से 16 रुपये हो गए हैं जबकि चार महीने पहले इसके दाम 6 से 7 रुपये थे। नारियल के दाम बढऩे का असर खोपरा और नारियल तेल की कीमतों पर भी देखा जा रहा है। दाम बढऩे के बावजूद खरीदारों को स्थानीय मंडियों में नारियल और खोपरा खोजने से भी नहीं मिल रहे हैं। बहरहाल, उपलब्धता कम होने के वजह से कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में नारियल की कीमत 16 से 20 रुपये के स्तर पर पहुंच चुकी है। नारियल महंगा होने का असर साफ तौर पर नारियल तेल के दामों पर भी पड़ा है। थोक बाजार में नारियल तेल के दाम रिकॉर्ड 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर से ऊपर निकल चुके हैं। जबकि खुदरा बाजार में एक किलोग्राम नारियल तेल का मूल्य बढ़कर 85 से 90 रुपये के स्तर पर पहुंच चुका है। बाजार सूत्रों के अनुसार नारियल, खोपरा और नारियल तेल के दामों में गिरावट अगले एक से डेढ़ महीने के बाद हो सकती है। नए सत्र में नई फसल तैयार होने के बाद ही स्थानीय बाजारों में नारियल की आपूर्ति बढ़ सकती है। बाजार सूत्रों के मुताबिक इस समय तमिलनाडु के प्रशिद्घ शबरीमाला मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए नारियल की भारी मांग हो रही है। इसके चलते भी तमिलनाडु से आपूर्ति घटी है। तमिलनाडु देश में नारियल का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। लेकिन हाल के दिनों में यहां भारी वर्षा की वजह से इसके उत्पादन पर असर पड़ा है। बारिश की वजह से नारियल और खोपरा की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। आमतौर पर केरल में खोपरा का उत्पादन दिसंबर महीने से शुरू होता है। लेकिन इस समय ज्यादातर खोपरा उत्पादकों को नारियल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है ऐसे में खोपरा उत्पदान अब तक रुका पड़ा है। नारियल तेल के कारोबारियों का अनुमान है कि मध्य जनवरी के बाद से ही बाजार की स्थिति सुधार सकती है।आयुर्वेदिक दवाइयां तैयार करने और एफएमसीजी सेक्टर में नारियल तेल की भारी मांग की वजह से नारियल और खोपरा की औद्योगिक मांग में भी इजाफा हुआ है। हालांकि इस दौरान पाम ऑयल, सुरजमुखी तेल आदि खाद्य तेलों के दामों में भी वृद्घि होने का भी असर नारियल तेल पर पड़ा है। नारियल तेल मिलों को नारियल न मिलने की वजह से नारियल के छिलके की आपूर्ति का भी संकट मंडरा रहा है और इसके दामों में भी वृद्घि के आसार हैं। (BS Hindi)
21 दिसंबर 2010
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