मुंबई/विशाखापत्तनम December 10, 2010
पिछले एक महीने के दौरान देश के कई इलाकों की 25 फीसदी से ज्यादा गुड़ इकाइयां बंद हो चुकी हैं। मौजूदा सीजन शुरू होते ही गुड़ के भाव 30 फीसदी गिर जाने की वजह से गुड़ बनाने वाली इकाइयों को चालू रखना लगभग नामुमकिन हो गया है।असंगठित क्षेत्र की हजारों गुड़ इकाइयों ने अक्टूबर के मध्य में तब उत्पादन शुरू किया था, जब गुड़ का भाव 1,340 रुपये प्रति किलोग्राम था। लेकिन इस वर्ष गन्ने की बंपर पैदावार हुई है, लिहाजा प्रचुर मात्रा में गन्ना उपलब्ध है। इस वजह से पिछले कुछ हफ्तों के दौरान गुड़ के भाव में नाटकीय रूप से गिरावट आई।हापुड़ के वरिष्ठï गुड़ व्यापारी दुर्गादास नारायणदास के मालिक विजेंद्र कुमार बंसल ने कहा, 'बेमौसम बारिश की वजह से अक्टूबर में बोई जाने वाली गेहूं और सरसों जैसी रबी फसलें बर्बाद हुईं। इसलिए किसान इन फसलों की दोबारा बुआई करने लगे। नतीजतन गन्ने की कटाई में लगे अनुबंधित श्रमिक गेहूं की खेती की ओर मुड़ गए। इसका असर यह हुआ कि ज्यादातर गुड़ इकाइयों को गन्ने की कम आपूर्ति के संकट का सामना करना पड़ा। जाहिर है, उन्हें संचालन बंद करना पड़ा।Óमौजूदा सीजन में किसानों द्वारा अनुबंधित श्रमिकों को रखने में कोताही बरतने की एक अन्य वजह भी है। दरअसल कीमतों में आई नाटकीय गिरावट के चलते श्रमिकों की मजदूरी के मामले में प्रतिस्पद्र्घा बढ़ गई है। बंसल कहते हैं कि मौजूदा सीजन की शुरुआत तेज हुई, लेकिन मांग घटने के कारण देश के तमाम इलाकों में कीमतें लगभग 30 फीसदी गिर गईं।हापुड़ में गुड़ के भाव इन दिनों 800 रुपये प्रति 40 किलोग्राम है। शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में गुड़ के बेंचमार्क चाकू, लड्डïु और खुरपा किस्मों के भाव क्रमश: 860-920 रुपये, 845-865 रुपये और 870-910 रुपये रहे। देश में गुड़ की सबसे बड़ी मंडियों- हापुड़ और मुजफ्फरनगर में आवक तकरीबन 50 फीसदी घटकर रोजाना 10,000 क्विंटल रह गई है।देश के दूसरे सबसे बड़े गुड़ बाजार अनकापल्ली में गुड़ के भाव पिछले साल (सितंबर-अगस्त) के भाव की तुलना में 30 फीसदी से भी ज्यादा गिर गए। अनकापल्ली में गुड़ की आवक सितंबर से शुरू होती है। मौजूदा सीजन के दौरान इस बाजार में काले गुड़ के भाव 205-210 रुपये प्रति 10 किलोग्राम के बीच हैं, जो पिछले साल सितंबर-दिसंबर में 300-310 रुपये प्रति 10 किलोग्राम था।'अनकापल्ली जैगरी ट्रेडर्स एसोसिएशनÓ के अध्यक्ष केएलएन राव ने बताया कि पिछले एक सप्ताह के दौरान मंडियों में गुड़ की आवक घटने की मुख्य वजह भारी बारिश रही। यह स्थिति तब है, जब खरीदारी दर नहीं बढ़ी है।उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009-10 के गुड़ सीजन में आवक 31 लाख लंप घटकर 27 लाख लंप (एक लंप 15 किलोग्राम का) रह गया था। यही वजह रही कि पिछले सीजन में व्यापारियों ने ऊंचे भाव पर खूब मुनाफा कमाया।स्टॉकिस्ट फिलहाल इसलिए खरीदारी से बच रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि मौजूदा भाव पर माल उठा लेने से उन्हें घाटा हो सकता है। पिछले सीजन में भाव बढऩे की उम्मीद में उन्होंने भरपूर माल उठाया था। लेकिन पिछली तिमाही में अचानक भाव में आई गिरावट के चलते उन्हें प्रति 10 टन गुड़ की बिक्री पर 1.50 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। मुजफ्फरनगर के गुड़ व्यापारियों के संगठन के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल का कहना है कि व्यापारी फिर नुकसान वाली स्थिति में नहीं आना चाहते।पिछले गुड़ सीजन में अनकापल्ली के हरेक व्यापारी ने औसतन 2000 लॉरी लोड (प्रत्येक लोड 10 टन का) का भंडार रखा था। लेकिन भाव गिरने की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था। लिहाजा इस बार वे फूंक-फंूक कर कदम रख रहे हैं। बहरहाल, गुड़ इकाइयों के लिए केवल एक अच्छी खबर है- गन्ने के भाव में गिरावट। अगस्त में गन्ने का भाव 260-270 रुपये प्रति क्विंटल था, जो फिलहाल 180-200 रुपये पर उपलब्ध है। (BS Hindi)
11 दिसंबर 2010
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