नई दिल्ली 12 27, 2010
पिछले साल मंहगे दाम के कारण गुड़ का जायका आम आदमी के लिए कड़वा हो गया था। लेकिन इस साल गन्ने की बेहतर उपज से गुड़ का उत्पादन बढ़ा है और उसके दाम में खासी कमी आई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तमाम गुड़ मंडियों में भाव नरम चल रहे हैं।मुजफ्फरनगर गुड़ मंडी में तमाम कारोबारी भाव कम होने की तसदीक करते हैं। पिछले साल अव्वल दर्जे के चाकू गुड़ का दाम यहां 1,000 रुपये प्रति 40 किलोग्राम था। लेकिन इस साल यह 920 से 940 रुपये प्रति 40 किलो के दायरे में हैं। गुड़ कारोबारी रोशन लाल कहते हैं, 'इस साल गुड़ का उत्पादन बेहतर हुआ है और आगे भी यही रुख देखने को मिलेगा। हालांकि मंडी में गुड़ की आवक उत्पादन की तुलना में नहीं बढ़ी है।Óगुड़ के भाव में नरमी की सबसे बड़ी वजह गन्ने की बंपर पैदावार है। बिजनौर के गन्ना किसान सत्येंद्र सिंह कहते हैं, 'पिछले साल चीनी और गुड़ के दाम आसमान पर थे और किसानों को गन्ने के 300 रुपये प्रति क्विंटल तक दाम मिले थे। इसीलिए किसानों ने इस बार अधिक गन्ना बोया था।Ó लेकिन पिछले साल के मुकाबले 20 से 25 फीसदी बढ़े रकबे ने किसानों को बेहतर दाम मिलने की उम्मीद पर पानी फेर दिया। पिछले साल किसानों ने 285 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना बेचा और इस साल मिलें 205 रुपये प्रति क्विंटल ही दे रही हैं।एक अन्य गन्ना किसान नरेश चौहान कहते हैं, 'फिलहाल गन्ने की आपूर्ति अच्छी है लेकिन 15 जनवरी के बाद फिर मिलों और कोल्हुओं में होड़ दिखेगी।Ó कोल्हू भी इस साल 200 से 220 रुपये प्रति क्विंटल का भाव दे रहे हैं। मुजफ्फरनगर में 3,000 से ज्यादा कोल्हू हैं और करीब 11 चीनी मिलें हैं। चीनी मिलों को भी इस साल गन्ने की अच्छी आपूर्ति हो रही है। शहर के चीनी कारोबारी सुधीर गोयल कहते हैं, 'पिछले साल बेहतरीन चीनी का भाव इसी अवधि में 3,100 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल था जो अभी 2,950 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है।Óमुजफ्फरनगर के अलावा सहारनपुर, मेरठ, बिजनौर, मुरादाबाद और ज्योतिबा फुले नगर जैसे जिलों में भारी संख्या में कोल्हू चल रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल 15से 20 फीसदी अधिक गुड़ होगा। (BS Hindi)
28 दिसंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें