17 दिसंबर 2010
क्या है सोने की चमक का राज?
शादी-ब्याह में जेवरात पर खर्च भले ही बढ़ गया हो, लेकिन कुछ साल पहले जिन लोगों ने सोना खरीदा था, वे मालामाल हो गए हैं। 2007 नवंबर के बाद से सोने पर 24 फीसदी कम्पाउंडेड सालाना रिटर्न मिला है। इस दौरान इसने दूसरे एसेट क्लास से ज्यादा रिटर्न दिया है। इसका मतलब यह है कि सोने में पैसा लगाने वालों ने इस दौरान शेयर, बॉन्ड और रियल एस्टेट निवेशकों से ज्यादा रिटर्न हासिल किया है। इस साल जब शेयर बाजार के सूचकांक शिखर पर थे तब भी सोने से 21 फीसदी का रिटर्न मिला। सोने के दाम में बढ़ोतरी ने पिछले कुछ साल में हुए निवेश के मायने को बदल डाला है। अब सवाल यह है कि क्या यह इसी तरह बढ़ता रहेगा? इसका सीधा जवाब है हां, लेकिन समय-समय पर इसके दाम में गिरावट भी आती रहेगी। केनरा रोबेको म्यूचुअल फंड में फिक्स इनकम हेड रीतेश जैन ने बताया, 'हमें लग रहा है कि अगले साल मार्च तक सोने का दाम बढ़कर 1,500 डॉलर प्रति औंस हो सकता है। अगले दो साल में यह 2,000 डॉलर के स्तर तक पहुंच सकता है।' आखिर इसमें तेजी की वजह क्या है? इस सवाल का स्पष्ट जवाब है कि पिछले दो साल से ग्लोबल इकनॉमी को लेकर अनिश्चितता का माहौल, महंगाई दर में तेजी और डॉलर की वैल्यू में गिरावट से सोने में तेजी आई। क्रूड ऑयल के दाम तेजी से बढ़ने पर इस बात की चर्चा ज्यादा होने लगी है कि अगले साल के अंत तक सोना प्रति 10 ग्राम 25,000 रुपए के स्तर को छू सकता है। अगर आने वाले दिनों में ऐसा होता है, इसकी कीमत अभी से करीब 25 फीसदी ज्यादा होगी। अगर अगले एक साल में किसी इक्विटी फंड से ऐसा रिटर्न मिले तो उसके फंड मैनेजर तो खुशी से झूम उठेंगे।ताजा वैश्विक घटनाक्रमहाल में सोने के दाम में तेजी वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर छाई अनिश्चितता से आई है। यूरोप के कुछ देशों पर सॉवरेन डिफॉल्ट का खतरा मंडरा रहा है। वहीं अमेरिका की अर्थव्यवस्था अभी भी मंदी के भंवर से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है। इन कारणों से दुनिया भर में इसकी मांग बढ़ी है। दुनिया भर के निवेशक हेजिंग के लिए सोना खरीद रहे हैं।यही नहीं लिक्विडिटी बढ़ने का फायदा भी सोने को मिल रहा है। अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए अमेरिका के केंदीय बैंक फेडरल रिजर्व ने अतिरिक्त डॉलर छापे। वहां मंदी के बाद से 1.7 लाख करोड़ डॉलर खर्च किए जा चुके हैं। फेडरल रिजर्व की योजना अर्थव्यवस्था में और 600 अरब डॉलर डालने की है। इससे न केवल महंगाई दर बढ़ेगी बल्कि प्रमुख मुदाओं के मुकाबले डॉलर की वैल्यू और कम होगी। डॉलर में गिरावट के कारण दूसरे देशों की मुदाएं मजबूत हो रही हैं। ऐसे में वहां की सरकारें भी ज्यादा करेंसी छाप रही हैं। गोल्ड मनी के संस्थापक और 'कोलैप्स ऑफ दी यूएस डॉलर एंड हाउ टू प्रॉफिट फ्रॉम इट' के लेखक जेम्स टर्क ने बताया, 'सभी प्रमुख मुदाओं में गिरावट की होड़ मची है। इससे उनकी क्रय शक्ति कम हो रही है।' करेंसी की वैल्यू घटने से निवेशकों ने गोल्ड पर दांव लगाना शुरू कर दिया। इससे वैश्विक स्तर पर सोने की मांग में भारी बढ़ोतरी हुई। डेरिवेटिव एक्सपर्ट सत्यजीत दास ने बताया, 'गोल्ड अब डिफॉल्ट करेंसी बन चुका है और इसलिए दूसरी करेंसी की कोई जगह नहीं है।'मुदास्फीति के खिलाफ हेजिंग बड़े पैमाने पर मुदा छापने से अगर महंगाई दर बढ़ती है तो सोने की ज्यादा मांग बढ़ेगी। मुदास्फीति के खिलाफ गोल्ड को ढाल माना जाता है। डेल्टा पार्टनर्स के फाउंडर और प्रिंसिपल पाटर्नर देवेंद नेवगी का मानना है कि गोल्ड अभी बिल्कुल सही जगह पर है। बहुत जल्द सोने के दाम में करेक्शन हो सकता है। ज्यादातर जानकारों का मानना है कि अगले कुछ माह में कीमतें घट सकती हैं। बीएसपीएल इंडिया डॉट कॉम के सीईओ विजय भंवबानी ने बताया, 'बिकवाली की वजह से बहुत जल्द इसमें 5-8 फीसदी की गिरावट हो सकती है। शॉर्ट और मीडियम टर्म में करेक्शन के बिना कमोडिटी के दाम नहीं बढ़ते हैं। आमतौर पर ऐसे करेक्शन काफी कम समय के लिए होते हैं, लेकिन इसका दायरा बड़ा होता है।' कुछ जानकारों का मानना है कि अगर गोल्ड फंडों के निवेशक ने बिकवाली शुरू की तो सोने के दाम गिरकर 18,500 रुपए प्रति 10 ग्राम हो सकते हैं।कितना सोना खरीदना चाहिएगोल्ड से बहुत ज्यादा रिटर्न मिल रहा है और आने वाले दिनों में भी ऐसी ही संभावना है, लेकिन एसेट एलोकेशन को लेकर बहुत ज्यादा चौकस रहने की जरूरत होती है। जानकारों का मानना है कि किसी को भी सोने में 10 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं करना चाहिए। मुंबई के एक वेल्थ मैनेजर ने बताया, 'सबसे पहले पोर्टफोलियो में 5 फीसदी हिस्सेदारी गोल्ड के लिए रखें और आगे अगर कीमतें घटती हैं तो और खरीदारी करें। धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 10 फीसदी तक कर सकते हैं। यह याद रखिए कि सोने में निवेश का मकसद बहुत ज्यादा लाभ कमाना नहीं बल्कि अपने निवेश पोर्टफोलियो को स्थायित्व देना है।' (ET Hindi)
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